पीलीभीत. हाल ही में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में हुई एक चूहे की मौत देश भर में सुर्खी बनी हुई है. इस पूरे मामले में चूहे की मौत मुख्य विषय न होकर पशु क्रूरता है. आमतौर पर लोग पशुओं के साथ जाने या अनजाने में क्रूर व्यवहार कर जाते हैं. लेकिन ऐसा करना आपको बड़ी मुश्किल में फंसा सकता है.
दरअसल, इन दिनों पशु क्रूरता पर चर्चा ने जोर पकड़ा हुआ है. हाल ही में बदायूं जिले में एक युवक पर चूहे को क्रूरतापूर्ण ढंग से मारने के मामले में पुलिस ने चार्जशीट फाइल की है. आमतौर पर देखा जाता है कि लोग राह चलते कुत्ता-बिल्ली गाय इत्यादि पशुओं से क्रूर व्यवहार करते हैं. लेकिन जाने अनजाने ऐसा करना काफी मुश्किल में डाल सकता है. इस पर News 18 Local ने शहर के अधिवक्ता और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के वोलेंटियर शिवम कश्यप से खास बातचीत की है.
सजा के साथ जुर्माना
शिवम कश्यप बताते हैं कि पशुओं को लात से मारना, पत्थर से मारना या फिर किसी भी तरह से यातना देना – पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की धारा 11 के तहत अपराध है. ऐसा करने पर अधिकतम 3 साल की कैद व अधिकतम 2000 रुपए तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. वहीं पीलीभीत जिला टाइगर रिजर्व का इलाका है. ऐसे में वन्यजीव के साथ भी क्रूरता या उन्हें कैद करना वन अधिनियम 1972 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है. लोगों को पशुओं से लगाव बढ़ाना चाहिए. यही प्रकृति के संरक्षण का असल तरीका है.