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Homeउत्तर प्रदेशकिसानों की आय दोगूनी करने गोरखपुर विश्वविद्यालय में हो रहा खास काम

किसानों की आय दोगूनी करने गोरखपुर विश्वविद्यालय में हो रहा खास काम

रिपोर्ट: अभिषेक सिंह
गोरखपुर. गोरखपुर जिले के किस इलाके में कौन सी मिट्टी फसल के लिए संजीवनी है, तो कौन सी मिट्टी में फसल पनप भी नहीं पाएगी. इसके लिए किसी लैब या एक्सपट्र्स के पास दौड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. गोरखपुर यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट्स ही इस प्रॉब्लम का सॉल्युशन देंगे. इसके लिए गोरखपुर यूनिवर्सिटी एग्रीकल्चरल के स्टूडेंट्स को एक्सपर्ट के तौर पर तैयार करने जा रही है. इसकी कवायद भी शुरू हो चुकी है.

यूनिवर्सिटी की इस पहल से न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि स्टूडेंट्स को भी अपने स्टार्टअप शुरू करने का मौका मिलेगा.गोरखपुर यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड नेचुरल साइंसेज में सेशन 2023-24 से चार नए कोर्स शुरू हो रहे हैं.

बीएससी एग्रीकल्चर से पढ़े स्टूडेंट्स कर सकते हैं अप्लाई
यह सभी कोर्स पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने वाले स्टूडेंट्स के लिए हैं. जिसमें एमएससी सॉयल साइंस,एमएससी प्लांट पैथोलॉजी, एमएससी एनिमल हसबेंड्री और एमएससी नेचुरल साइंसेज शामिल हैं. इसमें बीएससी एग्रीकल्चर से पढ़े स्टूडेंट्स ही अप्लाई कर सकते हैं. इस सेशन से पीजी में चार नए कोर्स शुरू हो रहे हैं. इसमें सॉयल साइंस, प्लांट पैथोलॉजी, नेचुरल साइंसेज और एनिमल हसबेंड्री शामिल हैं. इससे स्टूडेंट्स सेल्फ डिपेंडेंट बनेंगे और एग्री स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा मिलेगा.

स्टूडेंट्स पढऩे के बाद एग्रीकल्चर की फील्ड में अपना स्टार्टअप कर सकेंगे शुरू
एनईपी के तहत स्टूडेंट्स को प्रोफेशनल और सेल्फ डिपेंडेंट बनाने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन इन कोर्सेज की शुरुआत कर रहा है. इससे एग्री स्टार्टअप्स को भी काफी बढ़ावा मिलेगा. स्टूडेंट्स यहां से पढऩे के बाद एग्रीकल्चर की फील्ड में अपना स्टार्टअप शुरू कर सकेंगे और साथ ही आसपास के किसानों को भी इससे लाभ मिलेगा.

1. एमएससी सॉयल साइंस – सॉयल साइंस या मृदा विज्ञान में सॉयल (मिट्टी) की स्टडी की जाती है. इसके अंतर्गत मिट्टी का निर्माण,वर्गीकरण, भौतिक,रासायनिक तथा जैविक गुणों और उर्वरकता का अध्ययन किया जाता है. बीते सालों में फसल उत्पादन,वन उत्पाद और कटाव नियंत्रण में मिट्टी के महत्व को देखते हुए सॉयल के क्षेत्र में जॉब के ढेरों मौके बने हैं. अब देश भर में बड़ी संख्या में सॉयल टेस्टिंग व रिसर्च लैबोरेट्रीज स्थापित हो रही हैं. जहां प्रोफेशनल की जरूरत होती है, जो मिट्टी की स्टडी कर सकें.

2.एमएससी प्लांट पैथोलॉजी – प्लांट पैथोलॉजी पौधों में लगने वाली बीमारियों की स्टडी से संबंधित है. प्लांट पैथोलॉजी में पौधों को स्वस्थ रखने के तरीकों पर पढ़ाई होती है, जो उसे विभिन्न नुकसानों से बचाती है. फार्मिंग में इंटरेस्ट रखने वालों के लिए प्लांट पैथोलॉजी एक अच्छा कॅरियर ऑप्शन है. पौधे की पैथोलॉजी का क्षेत्र अन्य जैविक क्षेत्रों जैसे माइक्रोबायोलॉजी, माइकोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, वायरोलॉजी आदि से जुड़ा हुआ है. जो लोग पौधे के स्वास्थ्य के क्षेत्र में विशेषज्ञ होते हैं, उन्हें प्लांट पैथोलॉजिस्ट या पौधे रोगविज्ञानी के रूप में जाना जाता है.

3.एमएससी एनिमल हसबेंड्री – एनिमल हसबेंड्री में उन जनवरों पर स्टडी होगी, जिनसे इनकम जनरेट की जा सके. इसमें गाय, भैंस, बकरी, मछली व घोड़ा आदि शामिल हैं. इसके तहत पशुओं के प्रजनन, पोषण, रहन-सहन और उनके चिकित्सा संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से स्टडी होती है.

4.एमएससी नेचुरल साइंसेज – नेचुरल साइंसेज में एनवायर्नमेंट पर स्टडी होती है. इसमें प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान होता है. इस कोर्स के तहत स्टूडेंट्स नेचर से जुड़ी हर चीज पर स्टडी करेंगे.

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