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कब रखा जाएगा ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत?

अयोध्या. सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. पंचांग के मुताबिक, साल के ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है. इस तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा या ज्येष्ठ पूर्णमासी भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक, इस दिन स्नान दान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. वैसे तो हर माह में एक बार पूर्णिमा की तिथि पड़ती है, लेकिन हर पूर्णिमा की अपनी अलग मान्यता होती है.

अयोध्‍या के ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम की मानें तो इस साल जेष्ठ पूर्णिमा 2 दिन पड़ रही है. इसलिए इस साल व्रत और स्नान अलग-अलग दिनों में होगा. पूर्णिमा के दिन चंद्र देव के साथ माता लक्ष्मी की विधि-विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. साथ ही बताया कि ज्येष्ठ पूर्णिमा 3 जून दिन शनिवार को सुबह 11:16 से प्रारंभ होकर 4 जून दिन रविवार सुबह 9:14 पर समाप्त होगी. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत 3 जून को रखा जाएगा, तो वहीं स्नान और दान 4 जून को सुबह के समय किया जाएगा. ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम के मुताबिक, पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ-साथ दान पुण्य का भी विधान है. अगर आप ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि के दिन ऐसा करते हैं, तो आपको विशेष फल की प्राप्ति होगी. साथ ही इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा सुनी नहीं चाहिए. माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव की उपासना करने से और रात्रि में उन्हें अर्ग देने से जीवन में सकारात्मकता आती है. साथ ही कुंडली में चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है.

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