हरियाणा के करनाल शहर का रहने वाले लवप्रीत सिंह अपने तमाम रिश्तेदारों और अजीज दोस्तों के साथ इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट पहुंचा था. सब इस बात को लेकर बेहद खुश थे कि उनके दोस्त लवप्रीत का न केवल सालों पुराना सपना आज पूरा होने जा रहा था, बल्कि वह अपने सपनों की दुनिया में जीने के लिए कनाडा जा रहा था. लवप्रीत सिंह अपने सभी अजीजों से विदा लेकर एयरपोर्ट टर्मिनल में दाखिल हो गया और बैगेज चेक-इन की प्रक्रिया पूरी कर इमीग्रेशन जांच के लिए आगे बढ़ गया.
इमीग्रेशन अधिकारी ने जैसे ही लवप्रीत के पासपोर्ट को स्वैप किया, उसके चेहरे की सिकन बढ़ती चली गई. वह कभी पासपोर्ट, कभी कंप्यूटर स्क्रीन तो कभी लवप्रीत के चेहरे को देख रहा था. अब तक लवप्रीत को भी थोड़ा डर लगने लगा था. उसके अगल-बगल वाले काउंटर से अब तक न जाने कितने लोग निकल गए थे, लेकिन उसके पासपोर्ट और वीजा को अभी भी बार-बार अलट-पलट कर देखा जा रहा था. तभी उस इमीग्रेशन अधिकारी ने किसी से फोन पर बात की और कुछ ही देर में कुछ लोग वहां पहुंचे और लवप्रीत को अपने साथ चलने के लिए कहने लगे. लवप्रीत को इमीग्रेशन एरिया में स्थिति एक कमरे में ले जाया गया, जहां पर पहले से मौजूद कुछ अधिकारियों ने उससे कनाडा के वीजा के बारे में पूछताछ शुरू की. पूछताछ के दौरान, उसे पता चला कि उसके पास मौजूद कनाडा का वीजा फर्जी है. इसके बाद, लवप्रीत को आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस के हवाले कर दिया गया. वहीं आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने लवप्रीत के खिलाफ आईपीसी की धारा 420/468/471 और पासपोर्ट एक्ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद लवप्रीत से एक बार फिर पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ.आईजीआई एयरपोर्ट की डीसीपी ऊषा रंगनानी के अनुसार, आरोपी लवप्रीत ने पुलिस ने पूछताछ में बताया कि उसे यह वीजा प्रदीप वर्मा नामक एक व्यक्ति के जरिए मिला था. इस वीजा के एवज में 25 लाख रुपए की मांग की गई थी, जिसमें 12 लाख रुपए का भुगतान वह कर चुका था, जबकि बाकी की राशि का भुगतान कनाडा के टोरंटो शहर पहुंचने के बाद होना था. पुलिस ने लवप्रीत के कबूलनामें के आधार पर प्रदीप वर्मा के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उसकी तलाश में संभावित इलाकों में छापेमारी की गई है.