वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के शहर बनारस की बात निराली है. दुनिया के प्राचीनतम शहरों में शुमार वाराणसी के नाटी ईमली का भरत मिलाप ऐतिहासिक है. इस भरत मिलाप के ठाट भी अनूठे और राजशाही है. दशहरा के अगले दिन यानी 25 अक्टूबर को नाटी इमली के मैदान में 480 साल पुराने भरत मिलाप का आयोजन होगा. लक्खा मेले में शुमार इस भरत मिलाप की कई खास चींजे है.
इस लीला में जौहरी परिवार भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के लिए चौकी को सजाते चले आ रहें है. बीते चार पीढ़ियों से जौहरी परिवार इस काम को करता चला आ रहा है. दशहरा के अगले दिन सारे काम काज को छोड़ लखन लाल जौहरी का परिवार इस काम के लिए यहां आता है. परिवार से जुड़े संजीव लाल जौहरी ने बताया कि वो और उनका पूरा परिवार भगवान राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जिस जगह पर 14 साल के वनवास के बाद ऐतिहासिक मिलाप होता हैं. उस स्थान को वो माला, फूल, तुलसी से सजाते है.सबसे पहले मखमली लाल कपड़े को बिछाते है और फिर उसे फूलों के जरिए सजाते है. भरत मिलाप के ऐतिहासिक लीला के बाद इसी फूल और तुलसी के पत्ते को वहां जुटने वाले श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर ले जाते है. ऐसी मान्यता है कि इससे प्रभु श्री राम का आशीर्वाद भक्तों को मिलता है.
मेघा भगत को हुए थे प्रभु राम के दर्शन
बताते चलें कि गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन मेघा भगत ने इस रामलीला की शुरुआत की थी और उन्हें इसी भरत मिलाप में प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए थे. ऐसी लोक मान्यता है कि आज भी यहां कुछ क्षणों के लिए प्रभु का दर्शन होता है. यही वजह है कि यहां 2 मिनट की लीला देखने के लिए लाखों लोग जुट जाते हैं.