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Homeअपना जौनपुरएसआई को सस्पेंड किए जाने के बाद शव का हुआ अंतिम संस्कार

एसआई को सस्पेंड किए जाने के बाद शव का हुआ अंतिम संस्कार

  • चार दिनों के भीतर आरोपितों की गिरफ्तारी के आश्वासन पर माने वकील

जौनपुर धारा, खुटहन। खुटहन के उचैना मजरा निवासी युवा अधिवक्ता का मनबढ़ पड़ोसियों की पिटाई से हुई मौत के मामले में शव घर रख आरोपितों की गिरफ्तारी तथा एसआई को तत्काल सस्पेंड किए जाने की मांग पर स्वजनों संग अड़े बार एसोसिएशन के पदाधिकारी गण मौत के दूसरे दिन भी शव दाह से इन्कार कर रहे थे।क्षेत्राधिकारी के आश्वासन तथा पुलिस अधीक्षक से फोन पर वार्ता कर दरोगा को सस्पेंड किए जाने की पुष्टि के बाद शव का सुतौली घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। वकीलों ने चार दिन के भीतर सभी आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग किया। ऐसा न होने पर पुलिस के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दिया।

गांव निवासी व दिवानी न्यायालय के अधिवक्ता मनोज सिंह को भूमि विवाद को लेकर गत 23दिसंबर को पड़ोसी सांवले सिंह, रितिक सिंह, अजय, नीरज, पंकज व युवराज सिंह के द्वारा जमकर पिटाई कर दी गई थी। आरोप है कि उन्हें जबरन जहरीला पदार्थ भी पिला दिया गया था। जिसका मृत्यु पूर्व एक बीडीओ भी एडवोकेट के द्वारा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया था। वाराणसी में उपचार के दौरान गुरुवार को मनोज सिंह की मौत हो गई। खबर लगते ही वकीलो में आक्रोश छा गया।

श्रद्धाजंली देने पहुँचे दीवानी बार एसोसिएशन के अधिवक्ता

जौनपुर। मृतक के घर दीवानी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष यादव, महामंत्री मंत्री रणबहादुर यादव व संयुक्त मंत्री उस्मान अली सहित दर्जनों अधिवक्ता पहुंच गए। देर रात वाराणसी से घर पहुंचे शव को रख वे आरोपितों पर कार्रवाई पर अड़ शव दाह करने से मना करने लगे। मौके पर मौजूद एसडीएम शाहगंज राजेश चौरसिया व क्षेत्राधिकारी अजीत सिंह चौहान ने उन्हें समझाने में जुटे रहे। लेकिन वे एसएसआई को तत्काल सस्पेंड करने तथा आरोपितों की गिरफ्तारी पर अड़े रहे। पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ ने फोन पर अध्यक्ष से बात की। बताया कि एसएसआई सकलदीप सिंह को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके अलावा दो आरोपित भी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। शेष आरोपितों को बहुत जल्द गिरफ्तार कर लेने का आश्वासन दिया। तब जाकर उनका आक्रोश शांत हुआ। बाद में शव का अंतिम संस्कार सुतौली घाट पर कर दिया गया। मुखाग्नि उनके पुत्र सुभम ने दिया।

मृत्यु पूर्व अधिवक्ता का एक और वीडिओ प्रसारित, छह और लोगों को ठहराया मौत का जिम्मेदार

खुटहन। खुटहन के उचैना मजरा निवासी व जिले के दिवानी न्यायालय में अधिवक्ता मनोज सिंह का मृत्यु पूर्व एक और बीडीओ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। पहले बीडीओ में जहां मौत का जिम्मेदार सात को बताया गया था। वहीं दूसरे बीडीओ में 12लोगों को आरोपित किया गया है। जिसमें थाने के एसएसआई, पूर्व कानूनगो और लेखपाल का नाम भी सामिल है। पुलिस द्वारा पहले बीडीओ के आधार पर एसएसDााई को छोड़ शेष छह आरोपितों पर हत्या का केस दर्ज कर लिया गया था। लेकिन मृत एडवोकेट द्वारा जारी दूसरे बीडीओ में थाने के एसएसआई, कानूनगो और लेखपाल के अलावा तीन और को स्पष्ट रूप से आरोपित किया गया है।पहले दिन क्षेत्राधिकारी अजीत सिंह चौहान का दावा था कि जितने भी आरोपित हैं,सभी पर समान कार्रवाई की जायेगी। अब देखना है कि जब वर्दीधारी ही कानून के जद में हों तो आगे क्या कार्रवाई होती है। मृत्यु पूर्व जारी किए गए पहले बीडीओ में एडवोकेट ने आरोप लगाया था कि सामूहिक भूमि में रास्ता निकालने को लेकर उस पर दबाव बनाया जा रहा था। समझौते पर हस्ताक्षर न करने पर मनबढ़ पड़ोसी रितिक सिंह पुत्र अरविन्द, अजय सिंह पुत्र फुन्नन, सांवले सिंह पुत्र राम सुंदर तथा इनके पुत्र नीरज सिंह व पंकज सिंह तथा पौत्र युवराज सिंह पुलिस प्रशासन और गांव के तमाम लोगों की मौजूदगी में उसे लात घूंसो से पीटकर घायल कर दिए। वृद्ध चाचा बिजय बहादुर को भी मारे पीटे। दूसरे दिन घटना की तहरीर देने थाने पर जाते समय भी उक्त मनबढ़ो ने उसे सब्जी मंडी के पास रोक कर पिटाई के बाद जबरन जहरीला पदार्थ पिला दिया। अधिवक्ता द्वारा जारी दूसरे बीडीओ में जहर पिलाने की बात नहीं कही गई है। उसमें एडवोकेट की बातों में अपनी तौहीनी झलक रही है। जो बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और मंत्री को संबोधित कर कह रहे हैं कि अब कौन सा मुंह लेकर न्यायालय आऊं। न्याय की गुहार लगाते हुए भावुक शब्दों में कह रहे हैं कि अब कल सुबह मेरी लाश ही दिवानी पहुंचेगी। उनके दोनों बीडीओ से जबरन जहर पिलाने की बात संदिग्ध प्रतीत होने लगी है। उनके द्वारा जारी किए गए दूसरे बीडीओ में उक्त छह आरोपितों के अलावा अरविंद सिंह पुत्र राम सुंदर, अनिल सिंह पुत्र इन्द्रशेन को जिम्मेदार ठहराते हुए पड़ोसी अमरनाथ सिंह को साजिश कर्ता बताया गया है। इसके अलावा थाने पर तैनात एसएसआई सकलदीप सिंह, पूर्व में यहां तैनात रह चुके कानूनगो अखिलेश यादव तथा हल्का लेखपाल संजय सिंह के द्वारा न्याय न किये जाने को घटना का मुख्य कारण ठहराया। बीडीओ में पुलिस और राजस्वकर्मियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

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