एक्सपायरी इंजेक्शन लगाने से 9 माह की बच्ची की मौत, डिप्टी CM ने जांच के दिये आदेश

घटना बदौसा थाना क्षेत्र के जमुनिया की है. यहां के शंकरगंज मोहल्ले के रहने वाले धनेश श्रीवास्तव ने अपनी नौ माह की बेटी को सर्दी-जुकाम होने पर उसे जिला अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था. यहां डॉक्टर एच.सी अग्रवाल के द्वारा उसका इलाज किया जा रहा था. बच्ची की हालत में सुधार होने पर परिजन उसको रात में घर ले गए और सुबह उसका इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल लाए थे. यहां ओपीडी में तैनात डॉक्टर संतोष कुमार ने बच्ची की फाइल देखकर उसका ट्रीटमेंट शुरू किया. जिसके बाद वार्ड बॉय ने एमोक्सीक्लीन नाम की एंटीबायोटिक दवा, जो आठ महीने की एक्सपायरी डेट का बताया जा रहा है, का इंजेक्शन लगा दिया. इसके बाद बच्ची की हालत बिगड़ने लगी और कुछ ही देर में उसकी दर्दनाक मौत हो गई. बच्ची की मौत के बाद उसके परिजनों ने डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा किया. उन्होंने लापरवाह स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की. मामला सामने आने पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने खबर का संज्ञान लेकर स्टाफ नर्स कुलदीप कुमार और वार्ड बॉय अवधेश कुमार को बर्खास्त कर उनकी सेवा को समाप्त कर दिया. साथ ही जिला अस्पताल से जुड़े इस मामले को लेकर प्रारंभिक जांच के बाद दोषी दो फार्मासिस्टों को उपमुख्यमंत्री  के आदेश पर सीएमओ ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. इसके साथ ही इस पूरे मामले में चिकित्सक संतोष कुमार सोनकर की भूमिका की भी जांच कराई जा रही है. चिकित्सक संतोष सोनकर के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ कराते हुए विस्तृत जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई है. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद अन्य दोषियों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी भूपेश द्विवेदी का कहना है कि परिजनों ने आरोप लगाया था कि उनकी बच्ची को एक्सपायरी डेट का इंजेक्शन लगा दिया गया जिससे उसकी मौत हो गई. वहां एक्सपायरी डेट का इंजेक्शन मिला था, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वो इंजेक्शन लगाया गया है या नहीं. इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम बनाई गई है जो 48 घंटे के अंदर अपनी रिपोर्ट देगी. जो भी रिपोर्ट सामने आएगी उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी. एक्सपायरी डेट का इंजेक्शन अस्पताल में आया कहां से इसकी भी जांच कराई जा रही है. दो सदस्यीय टीम बनाकर अस्पताल की दवाइयों की चेकिंग के लिए ऑडिट कराया जाएगा और उसकी रिपोर्ट बनाकर जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी. इस मामले में डॉक्टर कितना दोषी है इस बात की भी जांच की जा रही है. दोषी पाए जाने पर डॉक्टर के खिलाफ शासन को कार्रवाई के लिए पत्र लिखा जाएगा.

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