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आने वाले 12 सालों में इंसानों पर मोटापे और कुपोषण का डबल अटैक…

वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि आने वाले 12 सालों में दुनिया की लगभग आधी आबादी यानी 51 फीसदी लोग मोटापे का शिकार होंगे. रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि ये समस्या ज्यादातर कम आय वाले देशों में बढ़ेगी और इसके चपेट में आने वाले लोगों में सबसे ज्यादा संख्या बच्चों की होंगी.

बच्चों में सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका 

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 की तुलना में 2035 तक मोटापे से परेशान बच्चों की संख्या लगभग दोगुनी हो जाएगी. यानी आने वाले 15 सालों में 18 साल से कम उम्र के 20.8 करोड़ लड़के और लगभग 17.5 करोड़ लड़कियां मोटापे का शिकार हो जाएंगे. इस डाटा का विश्लेषण करते हुए वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की प्रेसिडेंट लुइजे बावर कहते हैं कि सभी देशों के सरकारों को बुरे से बदतर होती स्थित को रोकने के लिए जल्द से जल्द कोई जरूरी कदम उठाने होंगे. देशों के सरकारों को युवा पीढ़ी के सेहत, और इसके साथ ही सामाजिक और आर्थिक बोझ को टालने के लिए अभी से ही हर संभव कोशिश करनी होगी. उन्होंने कहा कि “रिपोर्ट में सबसे चिंताजनक खुलासा ये हुआ है कि मोटापे की दर सबसे तेजी से बच्चों और किशोरों में बढ़ रही है.फेडरेशन ने दावा किया है कि बढ़ते मोटापे के कारण लोगों में परेशानियां भी बढ़ेगी. जिसे ठीक करने में साल 2035 तक दुनिया को 4000 अरब डॉलर ज्यादा खर्च करना पड़ेगा. यह दुनिया के सभी देशों को मिलाकर कुल जीडीपी की तीन फीसदी रकम है. 

क्या है वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन 

वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन एक ऐसा संगठन है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और विभिन्न वैश्विक एजेंसियों के साथ मिलकर मोटापे पर काम करता है. यूके में इसके सदस्यों में एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ओबेसिटी शामिल है. विश्व स्वस्थ्य संगनठन के अनुसार, 1975 के बाद से दुनिया में मोटापा तीन गुना बढ़ गया है. वहीं इंडियन जनरल कम्युनिटी मेडिसन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में सिर्फ भारत में ही 135 मिलियन लोग मोटापे की परेशानी से जूझ रहे हैं. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में बचपन के मोटापे में 2035 तक 9.1 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि होने की संभावना है. इसी रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में लगभग 11 प्रतिशत लोग 2035 तक मोटे होंगे, 2020 और 2035 के बीच वयस्क मोटापे में वार्षिक वृद्धि 5.2 प्रतिशत होगी. डॉक्टर विवेक सिंह ने एबीपी से बातचीत में बताया कि मोटा होना और ओवरवेट होना दोनों ही अलग-अलग चीजें हैं. ऐसा जरूरी नहीं कि आप ओवरवेट हैं तो मोटे भी हों.  दोनों के बीच के अंतर को आसान भाषा में समझाएं तो अगर आपकी बॉडी मास इंडेक्स यानी (बीएमआई) 19 से 24.9 के बीच है तो आप नॉर्मल रेंज में आते हैं. लेकिन वहीं बॉडी मास इंडेक्स यानी 25 से 29.9 के हो तो आप ओवरवेट की कैटेगरी में आ जाते हैं.  अगर आपका बॉडी मास इंडेक्स 30 से ऊपर हो तो वह व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त माना जाता है. 

डॉक्टर ने बताया कि किसी भी व्यक्ति का मोटा होना मेडिकल कंडीशन है. जब भी कोई व्यक्ति अपने शरीर पर लंबाई और वजन की तुलना में ज्यादा वेट कैरी करता है और यह वजन उसके सेहत को नुकसान पहुंचाता है ऐसी स्थिति को मोटापा कहते हैं.  डॉक्टर विवेक सिंह ने बताया कि इसका सबसे आसान तरीका बीएमआई जानना है. इसे जानने के लिए वजन को किलो में मापकर उस व्यक्ति के लंबाई के स्क्वायर मीटर से डिवाइड कर दें. इससे पता लगाना आसान हो जाता है कि आप वाकई में मोटे हैं या ओवर वेट. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी बीएमआई को आधार बनाया गया है. इसके तहत किसी भी व्यक्ति की लंबाई और उसके वजन का अनुपात निकाला जाता है. फेडरेशन की रिपोर्ट कहती है कि आने वाले सालों में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव 10 देशों में किया गया है. जिसमें से नौ अफ्रीका और एशिया में निम्न या मध्यम आय वाले देश हैं. फेडरेशन के साइंस इंस्ट्रक्टर रेचेल जैक्सन लीच का कहना है कि इस तरह के डाटा को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कम और मध्यम आय वाले देशों ने इस परेशानी से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो उन्हें बड़े परिणाम भुगतने होंगे. मेडिकल जर्नल द लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार अजरबैजान, ग्वाटेमाला, मिस्र, कोमोरोस, साओ टोमे और प्रिंसिपे जैसे देशों में यह सबसे ज्यादा कुपोषण का खतरा है. मोटापे और कुपोषण के कारण सभी देशों में बच्चों के विकास में कमी दिखने के साथ ही महिलाओं का वजन बढ़ने की बात सामने आई है.इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व स्तर पर बढ़ रहे मोटापे का सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन, कोविड के दौरान लगाए गए प्रतिबंध और पोषण-खान पान के सिस्टम में तेजी से बदलाव है. कोरोना प्रसार के दौरान लगाए गए लॉकडाउन ने लोगों में कम काम और ओवरइटिंग की आदत लगा दी. जिसके कारण उनके शरीर का वजन बढ़ने लगा. 

उदाहरण के तौर पर 355 एमएल की मीठे पानी की एक बोतल पीने के बाद कम से कम 2.5 किलोमीटर टहलना या फिर 15 मिनट दौड़ना बेहद जरूरी है. लेकिन रोजमर्रा के काम में इसके लिए फुर्सत कम ही लोगों निकाल पाते हैं.

समस्या का समाधान क्या है

डॉ. विवेक ने कहा कि इस समस्या से निपटने का सबसे पहला स्टेप ये जागरूकता होना चाहिए. लोगों को बताया जाना चाहिए कि मोटापा इंसान के सेहत के लिए कितना नुकसानदायक हो सकता है. इसके अलावा को एक स्वस्थ जीवन शैली, खाने की आदतों और शारीरिक गतिविधि के लाभों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.

मोटापे से बढ़ती है जानलेवा बीमारियां 

एक्सपर्ट के मुताबिक, मोटे लोगों में कई बीमारियों के होने का खतरा बढ़ सकता है. अन्य बीमारियों की तुलना में सबसे आम बीमारी जो मोटे लोगों में देखी गई है वह है डायबिटीज. 

डायबिटीज: शरीर में जितनी ज़्यादा फैट होती है, उतनी ही परेशानी शरीर को इन्सुलिन बनाने में होती है. दरअसल मोटे शरीर में पेट के आस-पास लिवर और पेनक्रिएटिक में फैट जमा हो जाता है. आसान भाषा में समझे तो लिवर में थोड़ी सी भी चर्बी बढ़ती है तो मधुमेह यानी डायबिटीज होने की आशंका बढ़ जाती है.

हाई ब्लड प्रेशर: अगर आप मोटे हैं तो आपमें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होना भी आम है. हाई ब्लड प्रेशर को हाइपरटेंशन कहा जाता है, यह ऐसी स्थिति है, जिसमें खून रक्त वाहिकाओं में सामान्य से ज्यादा तेज बहने लगती है. हाई ब्लड प्रेशर हार्ट पर प्रेशर डालता है, जिससे रक्त वाहिकाओं को भी नुकसान पहुंचा सकता है. और यह बीमारी इतनी खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर होने से दिल का दौरा, स्ट्रोक, किडनी की बीमारी और मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है. 

ऑस्टियोआर्थराइटिस: मोटापे के शिकार लोगों में ऑस्टियोआर्थराइटिस होना भी बेहद आम है. यह बीमारी काफी लंबे समय तक चलती रहती है. ऑस्टियोआर्थराइटिस में इंसानी शरीर के जोड़ों में दर्द और सूजन रहता है. ज्यादा वजन होने से जोड़ों और कार्टिलेज पर अतिरिक्त दबाव आता है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ सकता है.

किडनी की बीमारी: मोटापा शरीर में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के खतरे को बढ़ाता है, और ये दोनों बीमारी ही किडनी की बीमारी का सबसे आम कारण है. हालांकि अगर आपको डायबिटीज या ब्लड प्रेशर नहीं है, तो भी मोटापे का कारण किडनी की बीमारी हो सकती है.

13 तरह के कैंसर होने का खतरा 

शरीर में ज्यादा फैट जमा होने के चलते अंगों पर बुरा असर पड़ता है. शरीर में असंतुलन के कारण कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. इसके अलावा बढ़ते मोटापे से इंसान के मरने का जोखिम 91 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. इतना ही नहीं एक रिसर्च से ये भी सामने आया है कि हाई बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों में मृत्यु दर्ज ज्यादा होती है. इसके साथ ही खराब जीवनशैली और पोषण वाले खान-पान पर ध्यान न देना 13 तरह के कैंसर की वजह बन सकती है. 

ये चीजें चुपके से बढ़ा रही हैं आपका मोटापा

  • स्ट्रेस- ज्यादा स्ट्रेस लेने से शरीर में कॉर्टिसोल नामक हार्मोन ज्यादा रिलीज होता है. जो मोटापा बढ़ाना का एक कारण बन सकता है.  
  • नींद पूरी न होना- सही समय पर न सोना और कम समय तक सोना भी शरीर को मोटा कर सकती है. कम सोने से शरीर में भूख ज्यादा लगने वाले हार्मोन रिलीज होते हैं.
  • दवाइयां- बहुत ज्यादा दवाएं लेना भी शरीर का वजन बढ़ाने का एक कारण हो सकता है.  
  • थाइरॉयड- थाइरॉयड एक ऐसी बीमारी है जो शरीर के वजन को बढ़ा देता है. ग्लैंड के कम एक्टिव होने से हायपोथाइरॉयडिज्म हो सकता
  • डाइजेशन- डाइजेशन अच्छे से नहीं होने का कारण शरीर में फैट जमा होने लगता है और वह मोटापा बढ़ाने का कारण बन जाता है.
  • लाइफस्टाइल- देर तक सोना, एक्सरसाइज न करना, जंक फूड खाना, शराब-सिगरेट पीना. ये भी शरीर का वजन बढ़ाता है. 
  • ओवरईटिंग- कई लोगों को मीठा खाना बहुत पसंद है. ऐसे में उनके शरीर का वजन बढ़ सकता है. साथ ही ओवरईटिंग भी वजन बढ़ाते हैं.
  • जेनेटिक्स – मोटापा ज्यादा खाने से तो बढ़ता ही है लिकिन ये एक ऐसी बीमारी है जो परिवर में माता-पिता या भाई-बहनों से भी आपमें ट्रांसफर हो सकता है. आसान भाषा में समझे अगर आपके परिवार में किसी को मोटापे की दिक्कत है तो आपमें भी मोटापा होने के चांस बढ़ जाते हैं. 
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