- देर शाम तक बाजारों में होती रही खरीदारी
- तरावीह की नमाज के लिए मस्जिदों में होगा खास इंतजाम
जौनपुर धारा,जौनपुर। रमजान के मुकद्दस महीने की आमद को लेकर लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। बाजारों में जहां चहल-पहल बढ़ गई है तो मस्जिदों में नमाजे तरावीह की तैयारियां मुकम्मल हो गई हैं। रमजान का पवित्र महीना आज से शुरू है, सोमवार को चांद रात होने की वजह से देर रात तक बाजारों में खरीदारों की भीड़ जुटी रही। महिलाएं सहरी और अफतार के लिए खरीदारी करती देखी गईं। खजूर और फलों की दुकानों पर ज्यादा भीड़ देखी गई। वहीं इफ्तार में खाने वाली अन्य वस्तुओं की भी बिक्री हुई। नगर के ओलंदगंज, चहारसू चौराहा, कोतवाली चौराहा, सब्जी मंडी, नवाब यूसुफ रोड क्षेत्रों में रमजान की खरीदारी करने वालों की काफी भीड़ देखी गई। मस्जिदों व इबादतगाहों में भी रंगाई-पुताई का कार्य पूरा हो गया है। बाजारों में भी सजावट की जा रही है। इस्लाम में रमज़ान के महीने का खास महत्व है, क्योंकि रोजा इस्लाम के 5 स्तंभों में एक है। रमजान के पूरे महीने में हर दिन 5 वक्त की नमाज के अलावा रात के समय एक विशेष तरह की नमाज पढ़ी जाती है, जिसे तरावीह कहा जाता है। रमजान का चांद नजर आने के बाद से तरावीह पढ़ने का सिलसिला शुरू हो जाता है। सिर्फ भूखा-प्यासा रहना ही रोजा नहीं होता, बल्कि रोजा आंख, जुबान और कान का भी होता है। इसलिए रमजान में रोजेदार रोजा के दौरान भूखा-प्यासा रहने के साथ ही गलत कामों से दूर रहे, झूठ बोलने से बचें और किसी की बुराई न करें। अगर रोजा रख कर इन चीजों पर अमल नहीं कर रहे हैं तो भूखे प्यासे रहने का कोई मतलब नहीं है। रमजान के महीने में मुसलमान अपना ज्यादा से ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में गुजारते हैं। इस महीने में की गई इबादत का सवाब अल्लाह की तरफ से कई गुना बढ़ाकर मिलता है। रमजान के महीने में रोजा रखने का मतलब यह भी है कि इंसान जब दिन भर भूखा प्यासा रहता है तब उसको पता चलता है कि आम दिनों में अगर कोई गरीब भूखा प्यासा रहता है तो उस पर क्या बीत रही होती है। ताकि इंसान के दिल में रहम पैदा हो उस व्यक्ति के लिए और वह उसकी ज्यादा से ज्यादा मदद कर सके जिससे वह भूखा प्यास ना रहे। इस महीने में गरीबों और परेशान हाल लोगों की मदद करना बहुत बड़ी नेकी है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा अल्लाह की इबादत करने के साथ-साथ जितना हो सके गरीबों और परेशान हाल लोगों की मदद करनी चाहिए। दिन भर रोजा रखने के बाद अफतार के समय मांगी गई दुआओं का अल्लाह के यहां बहुत महत्व है। इसलिए अफतार के समय अल्लाह से दुआ करना चाहिए। रमजान से पहले ही मस्जिदों में रंगाई, पुताई और साफ सफाई का काम कर लिया गया था। जहां किसी मस्जिद में कुछ कमियां बाकी थी उसे चांद रात को पूरा कर लिया गया। वहीं, सहरी और इफ्तार की सामग्री की बिक्री शुरू हो गई है। सहरी में जहां लोग दूध-फैनी, खजला व डबलरोटी का सेवन करते हैं तो वहीं इफ्तार के लिए खास मानी जाने वाली खजूर की कई वैरायटी बाजार में उपलब्ध हो गई हैं। इसके अलावा मौसमी फलों की बिक्री बढ़ने से भाव भी बढ़ गए हैं।