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Homeमनोरंजनआखिर 62 की उम्र में सुनील शेट्टी कैसे दिखते हैं यंग?

आखिर 62 की उम्र में सुनील शेट्टी कैसे दिखते हैं यंग?

अपनी रोजाना की रूटीन शेयर करते हुए सुनील कहते हैं, मैं कितनी भी देर रात सोया हूं, लेकिन मेरी कोशिश यही होती है कि 6 से 6.30 बजे सुबह मैं उठ जाऊं। इसके बाद मैं लगभग एक घंटा एक्सरसाइज को देता हूं। यही नहीं, फिट रहने के लिए सुनील शेट्टी ने 8 साल पहले कुछ चीजें भी त्याग दी थीं। सुनील शेट्टी ने हाल ही में ‘धारावी बैंक’ वेब सीरीज से अपना डिजिटल डेब्यू किया है। सीरीज में सुनील शेट्टी एक धारावी के डॉन थलाइवा के किरदार में नजर आ रहे हैं। सीरीज में सुनील ने 60 साल के डॉन का रोल अदा किया। ‘धारावी बैंक’ में 62 साल की उम्र में भी सुनील यंग और फिट नजर आते हैं। इस किरदार के लिए उन्हें प्रॉस्थेटिक मेकअप से गुजरना पड़ा है। आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत पर सुनील अपनी फिटनेस मंत्रा शेयर करते हैं। ‘अपनी रोजाना की रूटीन शेयर करते हुए सुनील कहते हैं, मैं कितनी भी देर रात सोया हूं, लेकिन मेरी कोशिश यही होती है कि 6 से 6.30 बजे सुबह मैं उठ जाऊं। इसके बाद मैं लगभग एक घंटा एक्सरसाइज को देता हूं। भले भी मुझे इसके बाद सोना भी पड़ जाए, तो कोई गुरेज नहीं है। लेकिन फिटनेस ट्रेनिंग से कोई समझौता नहीं है। ‘अपनी डायट के बारे में सुनील कहते हैं, मैं हमेशा नाप-तोल कर ही खाना खाता हूं। क्वांटिटी कभी ज्यादा नहीं रखता हूं। भले ही मेरा पेट पूरी तरह नहीं भरा हो। मैंने अपनी जिंदगी में सफेद चीजों को अलविदा कह दिया है। कह लें, मुझे खाने में दिखने वाली सफेद चीजों से नफरत है। मैं सॉल्ट, सुगर, मिल्क वॉइट राइस से भागता हूं। मिल्क अगर लैक्टो प्रâी हो, तो चल जाएगा, लेकिन ग्लूटन से भरपूर चीजों का परहेज करता हूं। मैं जानता हूं कि मेरे लिए क्या सही है और क्या गलत। ‘इसके अलावा रेग्यूलर ट्रेनिंग पर फोकस करता हूं। मैं जिम में नई-नई चीजें सीखता हूं। स्पोर्ट्स खेलता हूं, मैं खुद के फार्म में गार्डनिंग करता हूं। मुझे पेड़-पौधों से प्यार है। इतने सालों में मैंने यही सीखा है कि जो चीजें मुझे खटकती हैं, मैं उसे कैंसर मानकर अपनी जिंदगी से बाहर निकाल फेंव्ाâता हूं। अगर मैं किसी चीज से नाखुश रहूं और एहसास होता है कि वो हफ्तेभर मुझे परेशान कर रहा है, तो मुझे पता चलता है कि वो हफ्तेभर में जो चीजें झेलता हूं। क्यों न उसे सात घंटे में ही बदल दूं। मेंटली मुझे बहुत स्ट्रॉन्ग होना पड़ता है और यह तरीका मेरे काम आया भी है। भले उस आदमी को जब अहसास होगा वो आकर सॉरी कहेगा। तबतक वो इंसान मेरे लिए मायने ही नहीं रखता है। मैंने पब्लिकली आजतक किसी के बारे में कुछ गलत नहीं कहा है। उसका गिल्ट उसके अंदर रहता ही है। पता नहीं हमारे अंदर किस बात का ईगो है, जो हमें अपनी गलतियां स्वीकारने से रोकता है। ‘अपने मेजर ट्रांसफॉर्मेशन पर सुनील कहते हैं, लॉकडाउन के दौरान मेरा वजन काफी बढ़ गया था। मैं करीब 87 किलो तक पहुंच चुका था। जो कि पूरी तरह से अनहेल्थी था। मुझे कैसे भी अपना वजन घटाना था। इसी दौरान मैंने अपनी बॉडी से दस बारह किलो कम किया। अपने खाने, न्यूट्रिशन पर ध्यान दिया और 74 किलो तक पहुंचा। देखो, मेरी उम्र भी बढ़ रही है और इस वक्त हेल्थ पर फोकस करना बहुत जरूरी है। अब इस उम्र में हंच, फीट ड्रैगिंग जैसे इंटेंस वर्कआउट नहीं हो सकते हैं। ‘देखो, मैं बुढ़ा हो होऊंगा ही होऊंगा। इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता है। कोशिश यही है कि मैं इस प्रोसेस में स्लो एंट्री करूं और किसी को तकलीफ दिए बगैर अपनी जिंदगी को जीऊं। खासकर बच्चों पर कोई बोझ नहीं बनना चाहता हूं, अब हेल्थ और फिटनेस को देखने का नजरिया बदला है। ‘दूध अगर लैक्टॉस प्रâी मिले, तो उसे भी दही बनाकर इस्तेमाल करता हूं. मैंने गेहूं और ग्लूटन से भरपूर चीजों को छोड़ दिया है. मैं उनकी जगह ब्राउन राइस की रोटी, नाचीनी, सिंघाड़े के आटे की रोटी खा लेता हूं. हमारे देश में इतने मिनरल्स और कैल्सियम से युक्त चीजें हैं, जिसकी कोई हद नहीं है. ये ग्रीन रिवॉल्यूशन तो अंग्रेजों के चोंचले हैं. मैं तो सिंघाड़ा, सेंधी, जैसे ग्रेन्स खाता हूं. आज जाकर लोगों को पता चला है कि कोकोनट आइल हेल्थ के लिए अच्छा है, जबकि मैं तो बचपन से ही उसका सेवन करता आया हूं.

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