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पंचायत भवन पर वन विभाग द्वारा लगाया गया ग्रीन चौपाल

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अयोध्या में पुराने मंदिरों को ध्वस्त न करने को लेकर लगाई नरेंद्र मोदी से गुहार

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में पुराने मंदिरों को ध्वस्त न करने को लेकर रामानुज पीठ के जगद्गुरु स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुहार लगाई है. उन्होंने रविवार (3 मार्च, 2024) को पीएम मोदी के नाम लिखे इस लेटर के जरिए प्रभु श्रीराम की नगरी में विरासत से जुड़े भवनों और प्राण-प्रतिष्ठित मंदिरों को न तोड़ने की अपील की. उन्होंने इस दौरान संकेत दिए कि ऐतिहासिक रामानुज मंदिर को तोड़ने से जुड़े आदेश को लेकर अयोध्या के बड़े संतों में नाराजगी है. 

कोसलेश सदन धर्मादाय (ट्रस्ट) के अध्यक्ष और जगदगुरु रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज ‘विद्याभास्कर’ की ओर से इस मुद्दे पर रविवार (3 मार्च, 2024) को पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित करते हुए पत्र लिखा गया. लेटर में कहा गया- कैकेयी घाट टेढ़ी बाजार रास्ते में पड़ने वाले ऐतिहासिक शिखर का अस्तित्व संकट में है. यह शिखर राजगोपुरम के रूप में है और इसमें द्रविड़ शैली वाली मूर्तियां प्राण-प्रतिष्ठित हैं. इसके संस्थापक श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं और उन्हीं ने इसे स्थापित किया था. 

यह रही रामानुजाचार्य स्वामी वासुदेवाचार्य महाराज की चिट्ठीः

Ayodhya: 'अच्छा नहीं जाएगा संदेश', मंदिर तोड़ने के आदेश पर PM मोदी से बोले रामानुज पीठ के जगद्गुरु

“ध्वस्त करने का संदेश अच्छा नहीं जाएगा”

पीएम के नाम इस चिट्ठी में आगे लिखा गया, “कृपया इस शिखर को सुरक्षित करते हुए इस कार्य को पूरा करें और इसे ध्वस्त करने का संदेश सामान्य जनमानस में अच्छा नहीं जाएगा. आधुनिक तकनीक से इस गोपुरम को सुरक्षित कर नीचे से मार्ग का रास्ता दिया जा सकता है. यह अयोध्या की धरोहर के रूप में है. ऐसे में इसे सुरक्षित रखने का बंदोबस्त करें. मार्ग के लिए भूमि देने में आपत्ति नहीं है लेकिन इसकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए काम किया जाए.” 

…तो लोकसभा चुनाव में दिख सकता है असर?

वैसे, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि अगर संत समाज की ओर से अपील नहीं मानी गई तब इसका लोकसभा चुनाव 2024 में असर देखने को मिल सकता है. आशंका है कि संत समाज के लोग विरोधी भूमिका में आ सकते हैं.  

श्रीराम मंदिर के पास ही है पीठ का यह गोपुरम

रोचक बात यह है कि यह रामानुज पीठ है जो कि श्रीराम जन्मभूमि के पास है. पीठ के भवन से जुड़ा गोपुरम दक्षिण भारत की शैली में बना है, जबकि सड़क को चौड़ा करने के लिए इसे कुछ दिनों बाद ध्वस्त किया जा सकता है. वहां इस एक्शन के दौरान कई और ऐतिहासिक मंदिर ध्वस्त किए जा सकते हैं. 

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