शो-पीस साबित हो रहे हैं गांव में बने पंचायत भवन

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  • कर्मचारी बढ़ा रहे हैं ब्लाक की शोभा, ग्रामीणों को काटना पड़ रहा है मुख्यालय का चक्कर

जौनपुर धारा, खेतासराय। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। यह बात आप लोगों ने जरूर पढ़ा या सुना होगा। भारतीय लोकतंत्र एवं शासन व्यवस्था की सबसे निचली इकाई है लेकिन ग्राम पंचायतों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह भी याद रखने योग्य बात है कि ग्राम स्वराज्य के बारे में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की भी यही परिकल्पना थी कि प्रत्येक गाँव स्वयं में एक सम्पूर्ण और पूर्णत: आत्मनिर्भर व्यवस्था हो, जहाँ स्वाभिमान के साथ जीने के लिए सभी सुविधाएं और प्रणालियां मौजूद हो। इसी को ध्यान में रखते हुए मौजूदा सरकार द्वारा संचालित तमाम योजनाओं के लिए पानी की तरह रुपये बहा रही है। उन्हीं योजनाओं में से एक योजना ग्राम सभा में लाखों रुपए से अधिक खर्च कर बनाया गया पंचायत भवन जो शो-पीस साबित हो रहा है।

पंचायत भवन पर पंचायत सचिव पंचायत सहायक, लेखपाल व अन्य कर्मचारियों  के न बैठने से लोगों को ब्लॉक मुख्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है। जबकि उच्चाधिकारियों द्वारा ग्राम सभाओं में बने पंचायत भवन पर रोस्टर के क्रम में सिक्रेटरी लेखपाल को बैठने का निर्देश दिया गया है। आपको बता दें कि विकासखण्ड शाहगंज सोंधी प्रदेश के बड़े ब्लॉकों में से एक है जहां पर राजस्व ग्राम सभा मिलाकर 113 ग्राम पंचायतें है तथा 155 क्षेत्र पंचायत सदस्य है। सूबे की प्रदेश सरकार ने गांव को सशक्त व मजबूत बनाने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रम चलाकर आत्मनिर्भर बनाने की पूरी कोशिश कर रहे है। लेकिन जिम्मेदार उस पर पूरी तरह से पानी फेर रहे है। सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने तथा विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सराहनीय प्रयास कर रही है। इतना ही नहीं बल्कि प्रशासन चला गांव की ओर के क्रम में पंचायती राज के अधिकारी व कर्मचारी प्रत्येक गांव में जन चौपाल लगाकर जनता की समस्याओं का गांव में ही निस्तारण करने का प्रयास कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा गाँव में बूथ बनाकर टीकाकरण के साथ स्वास्थ्य सम्बंधित गांव में ही सेवा दे रहा है। इसी तरह गाँव के लोगों को कहीं भटकना न पड़े और सरकार की सारी योजनाओं का लाभ शत प्रतिशत गांव में ही लोगों को मिल सके।  इसी क्रम में ग्रामीणों को सारी सुविधा गांव में ही देने के लिए शासन के मंशा के अनुरूप प्रत्येक गांव में पंचायत भवन का निर्माण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया और उसे सुविधाओं से लैस कर दिया गया ताकि सम्बंधित अधिकारी रोस्टर बनाकर पंचायत भवन पर समय से बैठकर जनता की समस्याओं का निस्तारण तत्काल प्रभाव से करें ताकि ग्रामीणों को ब्लॉक मुख्यालय या तहसील का चक्कर न काटना पड़े। इसके लिए उक्त भवन पर पंचायत सहायक की नियुक्ति हुई और बीसी सखी, समूह सखी, लेखपाल, पंचायत सचिव, रोजगार सेवक, सफाई कर्मचारी, किसान मित्र की रोस्टर के हिसाब से तैनाती की गई। लेकिन ये सब तैनाती मात्र खानापूर्ति और फाइलों तक सिमट कर रह गई। ब्लॉक के किसी भी पंचायत भवन पर कोई भी कर्मचारी नहीं बैठते और न ही भवन का दरवाजा खुलता है। यदि ग्रामीणों को परिवार रजिस्टर की नकल, बच्चों का आधार कार्ड, जन्म व मृत्यु प्रमाण-पत्र, विकलांग पेंशन, विधवा पेंशन, वृद्धा पेंशन, किसान सम्मान निधि, आय, जाति प्रमाण पत्र सहित अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए ग्रामीणों को ब्लॉक का ह़फ्तों, महीनों चक्कर काटना पड़ रहा है। रोस्टर में नामित अधिकारी व कर्मचारी गांव में न जाकर ब्लाक मुख्यालय की शोभा बढ़ा रहे है। इस सम्बंध में खंड विकास अधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि चेक करवा लिया जाएगा कि रोस्टर पर अधिकारी बैठ रहें है कि नहीं यदि नहीं बैठ रहे है तो उन्हें रोस्टर से पंचायत भवन पर बैठने के लिए सुनिश्चित किया जाएगा।

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