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लोगों के दिलों को जोड़ने का एक माध्यम है शायरी : पीसी विश्वकर्मा

  • बज्म-ए-शीराज के तत्वावधान में मासिक तरही नशिस्त का हुआ आयोजन

जौनपुर धारा, जौनपुर। बज्म ए शीराज के तत्वावधान में रविवार की रात में एक तरही नशिस्त का आयोजन नगर के मोहल्ला शेख मुहामिद स्थित अनवार मंजिल में किया गया जिसकी अध्यक्षता शायर अनवारुल हक अनवार जौनपुरी ने किया एवं संचालन की जिम्मेदारी शायर मजहर आसिफ ने अंजाम दिया। मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. पीसी विश्वकर्मा प्रेम जौनपुरी एवं विशिष्ट अतिथि के तौर पर नेयाज ताहिर शेखू, इंजी कासिम मुस्तफा उपस्थित रहे। प्रोग्राम की शुरूआत नोऐर इब्न पाशा ने तिलावत ए कुरआन व नात ए नबी सअव पेश करके किया। मिसरा ए तरह ‘कतरों की गवाही में समुंदर निकल आये’ बज्म ए शीराज के कन्वीनर शायर अनवारुल हक अनवार जौनपुरी ने एक माह पूर्व दिया था जिस पर समस्त शायरों एवं कवियों ने तबअ आजमाई करके अपनी अपनी रचनाओं को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया जिससे श्रोता मंत्रमुग्ध हो गये और पूरा हाल वाह वाह के स्वर से गूँज उठा। मुख्यातिथि डॉ. पीसी विश्वकर्मा प्रेम जौनपुरी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि शेर व शायरी लोगों के दिलों को जोड़ने का एक माध्यम है जिसके लिये उर्दू के सच्चे आशिक अनवारुल हक अनवार जौनपुरी हर माह नशिस्त का आयोजन करके प्रयास करते रहते हैं और साथ ही समस्त शायरों, कवियों को अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करने के लिये एक प्लेट फॉर्म प्रदान करते हैं जिसके लिये अनवार जौनपुरी बधाई के पात्र हैं। जौनपुर वâी सदियों पुरानी शेर व शायरी की रिवायत जिंदा और बाकी है। इस मौके पर नशिस्त को आगे बढ़ाते हुए अकरम जौनपुरी ने कहा, हो जाती है इंसान की तकदीर मोअत्तर, सजदे का अगर फूल जबीं पर निकल आये। अनवार जौनपुरी ने कहाकि, जर्रे की हिमायत को जब आमादा है कोहसार, कतरे की गवाही में समुंदर निकल आये। इसी क्रम में प्रेम जौनपुरी ने सुनाया, अब तेरे तसव्वर में बहुत उड़ने लगा है, लगता है मेरे दिल को भी अब पर निकल आये। अनवार अहमद कासमी ने कहा जर्रों को निगाहों से गिराना नहीं अच्छा, क्या जानते इनमें कोई गौहर निकल आये। नादिम जौनपुरी ने कहा, अब नेकी भी करते हुए डर लगने लगा है, कब खैर के कामों कोई शर निकल आये। कारी जिया जौनपुरी ने कहा, वो लोग मुकद्दर के सिकंदर निकल आये, जो लोग हथेली पे लिये सर निकल आये। असीम मछली शहरी का कहना था, ये जंग तो इंसान के लिये सबसे लड़ी है, शैतान जो अंदर है वो बाहर निकल आये। इसी क्रम में मजहर आसिफ ने सुनाया, वो कह के गया है चलो देखें ये तमाशा, कतरों की गवाही में समुंदर निकल आये। इस मौके पर अहमद अजीज गाजीपुरी, खलील इब्न ए असर जौनपुरी, इ़फ्तेखार राहिब, इंजी कासिम मुस्तफा, अहमद हफीज जौनपुरी, गुमनाम जौनपुरी, अमृत प्रकाश, कमल जौनपुरी, मोनिस जौनपुरी, अंसार जौनपुरी ने भी अपनी अपनी रचनायें प्रस्तुत किया। इस अवसर पर सैय्यद मसऊद मेहंदी, इमरान बंटी, कमालुद्दीन अंसारी, शहजादे अंसारी, साजिद अनवार, माजिद अनवार, हामिद अनवार, अंसार इदरीसी आदि उपस्थित रहे।

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