- कम लागत में किसानों को इतना होगा मुनाफा
बाराबंकी. उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में चिया सीड की खेती कर रहे किसान हरिश्चंद्र की मेहनत रंग लाई है. हेल्थ अवेयरनेस से जुड़े लोगों में चिया सीड की मांग काफी ज्यादा है. भारत में पहले इसे बाहर से मंगाया जाता था, लेकिन अब देश में चिया सीड की पैदावार होने से इस दिशा में आत्मनिर्भरता आ रही है. बाराबंकी जिले में चिया सीड की खेती शुरू की गई है. अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में पीएम नरेंद्र मोदी ने चिया की खेती का जिक्र करते हुए कहा था कि इससे देश को इसमें आत्मनिर्भर बनने में सहयोग मिलेगा.
प्रधानमंत्री ने चिया सीड की खेती करने वाले जिस हरिश्चंद्र सिंह की बात की, वो कोई और नहीं, बल्कि रिटायर्ड फौजी और इस समय सुल्तानपुर के जिला सैनिक कल्याण अधिकारी हैं. चिया सीड की खेती चीन में सबसे ज्यादा होती है. इसके बाद अमेरिका में भी इसे खाने के लिए उगाया जाता है. वहीं, भारत में अभी तक मध्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच में इसकी खेती होती थी, लेकिन अब बाराबंकी के सिद्धौर अमसेरूवा गांव में पहली बार चिया सीड की खेती हो रही है.चिया सीड की खेती करने वाले प्रगतिशील किसान हरिश्चंद्र सिंह ने बताया कि चिया सीड की फसल रामदाना जैसी होती है. यह 1,500 से 1,800 रुपये प्रति किलो की दर से बिकती है. इसकी खेती में प्रति बीघा 75 हजार का खर्च आता है और शुद्ध मुनाफा डेढ़ से दो लाख रुपये तक होती है. चिया सीड अंतरराष्ट्रीय बाजार से सिर्फ ऑनलाइन ही मंगाया जा सकता है. इसकी खेती के लिए हल्की ठंडी जलवायु होनी चाहिए.चिया सीड से लड्डू, चावल, हलवा जैसे व्यंजन बनते हैं. यह वीआइपी भोजन में इस्तेमाल होता है. हरिशचंद्र ने बताया कि चिया सीड में फाइबर युक्त प्रोटीन होता है. इसमें ओमेगा थिरि भी पाया जाता है. चिया सीड के इस्तेमाल से शरीर के मोटापा को भी कम किया जा सकता है. इसमे कई प्रकार के प्रोटीन भी पाये जाते हैं. सेहत के लिए चिया सीड बहुत लाभकारी होते हैं. इसको सुपरफूड केयर के नाम से भी जाना जाता है. किसान परंपरागत खेती छोड़कर नए तरीकों की फसल उगाएं, इससे उन्हें काफी फायदा मिलेगा.