चीन में कोविड-19 की ताज़ा लहर ने हाहाकार की स्थिति पैदा कर दी है। जो सूचनाएं छनकर आ रही हैं उससे पता चलता है कि अस्पतालों के आईसीयू में मरीज़ों की भारी भीड़ लग गई है। लेकिन चीन में महामारी के क्या हालात हैं। इसकी सटीक और आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पा रही। विरोध प्रदर्शनों के बाद दिसम्बर के पहले सप्ताह में शी जिनपिंग की सरकार ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ को ख़त्म करने का एलान किया और अनिवार्य लॉकडाउन और सघन जांच कार्यक्रम को ख़त्म करना शुरू कर दिया था। जांच की अनिवार्यता को ख़त्म किए जाने से देश में नए संक्रमण की निशानदेही करना लगभग असंभव बन गया है। दूसरी तरफ़ प्रशासन ने कोविड से होने वाली मौतों की सटीक जानकारी को भी बाहर आने से रोक दिया है। सांस की बीमारी या न्यूमोनिया से होने वाली मौतों को ही कोविड से होने वाली मौत माने जाने का नियम अलग से लागू कर दिया गया है। लीक हुई ‘चाइना सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन’ विभाग की एक रिपोर्ट में प्रशासन का अनुमान है कि दिसम्बर के पहले 20 दिनों में ही कोविड-19 से क़रीब 25करोड़ लोग संक्रमित हो चुके थे। इसी बीच ‘चाइनीज़ नेशनल हेल्थ कमीशन’ ने कोविड-19 के ख़तरे को टाइप-ए से टाइप-बी क्लासीफ़ाई कर दिया। इसका मतलब हुआ कि सेहतमंद लोगों के लिए ये कोई गंभीर ख़तरा नहीं है। इसके साथ ही पिछले ह़फ्ते संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या प्रकाशित करना बंद करने का फैसला लिया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ देशों ने संक्रमण के नए मामलों, इसकी गंभीरता और अस्पताल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या के बारे में चीन से पारदर्शिता बरतने की मांग की है। चीन में हालात की असली तस्वीर क्या है, ये अभी भी साफ़ नहीं है। ऊपर से नए संक्रमण की संख्या पर मीडिया सेंसरशिप के कारण चीजें और जटिल हो गई हैं। विदेशी मीडिया को, चाइनीज़ सोशल मीडिया पर स्थानीय लोगों की पोस्टों, बयानों, वीडियो और तस्वीरों का ही भरोसा है। सबसे ताज़ा और ख़तरनाक तस्वीर एक अस्पताल के इमरजेंसी रूम की आई है, जिसके गलियारे में जांच और इलाज के लिए इंतज़ार करते स्ट्रेचरों पर लेटे हुए मरीजों की लंबी कतार है। वॉशिंगटन पोस्ट के एक पत्रकार ने वीडियो रिकॉर्ड किया है जिसमें दिख रहा है कि मरीज़ों की भीड़ लगी हुई है और उनके क़रीब परिजनों की इंतज़ार करती भीड़ मौजूद है। एक अमेरिकी अख़बार ने चीन की सरकारी मीडिया के हवाले से कहा है कि चीन के प्रमुख झोंगशान अस्पताल के इमर्जेंसी विभाग में रोज़ क़रीब 1,000 मरीज़ आ रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले यह संख्या 700 से 800 अधिक है। जब सरकार ने कड़ी पाबंदियों को हटाने का फ़ैसला किया, उससे पहले ही कोविड के मामले बढ़ने शुरू हो गए थे। लेकिन उसके बाद से तो संक्रमण की मानो आंधी ही आ गई है और इसने बुज़ुर्गों में मौतों की दर बढ़ने की आशंका बढ़ा दी है। नेशनल हेल्थ कमीशन ने अस्पतालों से रिटायर्ड स्वास्थ्य कर्मचारियों को काम पर बुलाने को कहा है। ताकि संक्रमित हो रहे डॉक्टरों और नर्सों की जगह भरी जा सके। चेंगदू के अस्पताल के एक फ़ार्मेसी कर्मचारी ने बताया कि अस्पताल में ख़ास दवाओं की भारी कमी हो गई है और लक्षण के हिसाब से कामचलाऊ दवाएं दी जा रही हैं। चीन में कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम बहुत सुचारु नहीं चला और जो वैक्सीन घरेलू कंपनियों ने विकसित की वे गंभीर संक्रमण के प्रति अन्य देशों में विकसित की गई एम-आरएनए आधारित वैक्सीन के मुकाबले कम प्रभावी हैं।
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