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Homeअपना जौनपुरआपराधिक मामलों के लिए रामबाण बनता है सीमा रेखा

आपराधिक मामलों के लिए रामबाण बनता है सीमा रेखा

  • घटनाओं से पल्ला झाड़ लेते हैं जिम्मेदारान

जौनपुर धारा, शाहगंज। अधिकांश क्षेत्र में सीमारेखा आपराधिक मामलों के लिए रामबाण बनते हुए देखने को मिलता है। चाहे वह सड़क हादसा हो या अन्य आपराधिक मामले। जिसमें घण्टों पीड़ित को सीमा रेखा का दंश झेलना पड़ता है। उधर जिम्मेदारान मामले में सीमा रेखा के निर्धारण में उलझकर मामले से पल्ला झाड़ते देखने को मिलते हैं। कुछ ऐसा ही मामला शाहगंज और सरपतहां थाना क्षेत्र के सीमा पर स्थित आस्था के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध बुढ़िया माई के थान का भी है। जहां दूर दराज के श्रद्धालु अपनी मन्नतों को पूरा करने के लिए आते हैं, वहीं आपराधिक मामलों को अंजाम देने के लिए महिला चेन स्नेचरों का गिरोहों का भी बोलबाला अपने चरम पर बताया जाता है। जो दर्शनार्थी महिलाओं के बीच घुसकर अपना शिकार बनाने में कोई चूक नहीं छोड़ती। दर्शनार्थियों को जेवरात, पर्श आदि से अपना हाथ धोना पड़ा जाता है। मजे की बात यह है कि वारदात के बाद मामला उक्त दोनों थानों के बीच उलझ कर दम तोड़ देता है और पीड़ित दर बदर की ठोकरें खाता रहता है। कुछ इसी तरह का मामला अभी हाल ही में मंगलवार को उक्त धाम पर दर्शन के लिए आए आजमगढ़ जनपद के दीदारगंज थाना क्षेत्र के मीर अहमदपुर तिलक गांव के सियाराम यादव के परिवार के साथ हुआ। उनकी पत्नी शकुंतला देवी अपने परिवार के साथ मन्नत पूरा करने के लिए धाम में दर्शन कर रही थी उसी समय उनके गले से एक तोले के सोने की चेन काट लिया गया। भुक्तभोगी द्वारा एक संदिग्ध चेन स्नेचर महिला को पकड़ भी लिया गया। लोगों के बताने पर उसे शाहगंज कोतवाली ले जाया गया जहां मामला सरपतहां थाना क्षेत्र का बताते हुए वापस कर दिया गया। दोनों थानों के सीमा रेखा के बीच घण्टों दंश झेलने के बाद उक्त परिवार पकड़ी गई। महिला और प्रार्थना पत्र को कोतवाली पुलिस के हवाले छोड़ व्यवस्था को कोसते हुए घर चले गए। मामले में कोतवाली पुलिस क्या कदम उठायी यह भुक्तभोगी परिवार के लिए यक्ष प्रश्न बनकर रह गया, जबकि इस बाबत क्षेत्राधिकारी शाहगंज चोब सिंह ने बताया कि जिस थाना क्षेत्र में आपराधिक घटनाएं घटती हैं उसी थाना क्षेत्र में प्राथमिकी दर्ज की जाती है। उधर शाहगंज प्रतिनिधि द्वारा पूछे जाने पर कोतवाली पुलिस द्वारा मामले में जांच चलने की बात बताई गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आपराधिक मामलों में शिकार हुए पीड़ितों के साथ जिम्मेदारान इस तरह से क्यों हीलाहवाली करते हैं। इसी तरह के रवैये के चलते सीमा रेखा आपराधिक मामलों के लिए रामबाण बनता देखा जाता है।

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