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Homeउत्तर प्रदेशस्वास्थ्य के साथ खेत की उर्वरक क्षमता के लिए भी घातक है...

स्वास्थ्य के साथ खेत की उर्वरक क्षमता के लिए भी घातक है यूरिया

कन्नौज: वर्तमान समय में किसानों के द्वारा अपनी सभी फसल में बड़ी मात्रा में यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल किया जा रहा है. कम लागत में ज्यादा कमाने के चक्कर में किसान कहीं ना कहीं यह बड़ी गलती अपने और अपने समाज के प्रति करते जा रहे हैं. ऐसे में समय रहते अगर इस गलती को नहीं सुधारा गया तो फिर किसानों के जमीनों की हालत ऐसी होगी कि वह बंजर होने की कगार तक पहुंच सकते हैं.

कन्नौज के कृषि वैज्ञानिक आवेश कुमार ने बताया कि यूरिया और डीएपी का सबसे ज्यादा प्रयोग पंजाब में होता है. यहां पर एक जगह ऐसी है जिसका नाम मालवा है. वहां पर किसानों द्वारा अपनी सभी फसलों में यूरिया और डीएपी बड़ी मात्रा में प्रयोग की जाती है. जिसके परिणाम स्वरुप अब वहां की जमीन तो खराब हो ही गई है. वहां पर कैंसर जैसी ला-इलाज बीमारी इतना  पैर पसार चुकी है. जिसकी कोई सीमा नहीं. शायद ऐसा कोई घर बचा हो जहां पर यह बीमारी ना हुई हो और इस बीमारी के पीछे सबसे बड़ा कारण यूरिया और डीएपी फसलों के माध्यम से लोगों के शरीर में जाना है.

कैसे पहुंचाती है फसलों और जीवन को नुकसान

यूरिया भारत मे ही बनता है यह बहुत सस्ता है. जिस कारण किसान इसका अब ज्यादा प्रयोग करने लगे है. कृषि वैज्ञानिकों की संस्तुति के अलग किसान मनमाने ढंग से इसका प्रयोग कर रहे हैं. फसल के मृदा में दुष्प्रभाव पड़ता है. जिससे उसकी संरचना सही नहीं होती. उसके बाद आलू, गेंहू सहित अन्य फसलों के माध्यम से यह मानव शरीर के फ़ूड चेन में जाता है और यह पर्यावरण में भी जाता है. पानी मे चला जाता तो वो भी खराब हो जाता है. फसल की तीनों संरचना जिसमें भौतिक ,रासायनिक और जैविक इन सभी में  यूरिया के प्रयोग से खराबी आती है.

खेतो की उवर्रक क्षमता पर असर

यूरिया और डीएपी का लगातार प्रयोग किसान अगर इसी तरह करते रहे तो सबसे पहले किसानों के खेतों पर इसका असर पड़ेगा. कृषि अधिकारी आवेश कुमार बताते हैं कि जैसे कोई व्यक्ति ड्रग लेने के कारण उसका आदि हो जाता है. तो जब तक उसको वो दिया जाता है तो वो काम करता रहता है. लेकिन एक समय ऐसा आता है वो चाह कर के भी कुछ नही कर पाता वही हाल मिट्टी का भी होगा. वर्तमान समय मे इस तरह से अब मिट्टी की स्थिति होती जा रही है अगर यूरिया और डीएपी डालेंगे तो वह काम करेगी.

क्या बोले जिला कृषि अधिकारी

जिला कृषि अधिकारी बताते हैं कि लगातार हम लोग किसान भाइयों से बात कर रहे हैं यूरिया और डीएपी का कम से कम इस्तेमाल करने के लिए. किसानों को समझा रहे हैं और उसकी वैकल्पिक व्यवस्था भी हम लोग कर रहे हैं. जिसमें किसान यूरिया और डीएपी की जगह एनपीके अन्य उर्वरक, तमाम जैविक, कंपोस्ट, प्रोम जैविक उत्पाद का किसान प्रयोग करे तो धीरे-धीरे उनके खेतो की मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी और यूरिया और डीएपी का इस्तेमाल कम होने लगेगा.

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