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Homeअपना जौनपुरलाश बहती रही, पुलिस देखती रही

लाश बहती रही, पुलिस देखती रही

मामला शारदा सहायक नहर का
  • शेर बहादुर यादव

मछलीशहर। जब-जब शारदा सहायक नहर में पानी का बहाव तेज होता है, तब-तब लाशों के बहने का सिलसिला भी जारी हो जाता है। लेकिन यह लाशें कहाँ से आती हैं, और कैसे आती हैं, इसकी तह तक जाने का प्रयास जिम्मेदार अधिकारी नहीं करते। नतीजा यह है कि ऐसी घटनाएँ आए दिन घट रही हैं। परिजनों की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद, या फिर हत्या के मामलों में सबूत मिटाने के लिए फेंकी गई लाशों को अनदेखा कर दिया जाता है। पुलिस की यह लापरवाही न केवल परिजनों को अनजान रखती है बल्कि अपराधियों को भी बच निकलने का मौका देती है।

ग्रामीणों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब नहर में लाश बहती हुई दिखाई देती है, तो पुलिस लाश निकालने के बजाय अपने ‘हल्के की सीमाÓ डकाने में व्यस्त रहती है। अगर लाश एक थाने की सीमा में दिखाई देती है, तो वह उसे अगले थाने की ओर ठेल देता है। कभी-कभी जनता का शोर-शराबा या मीडिया की नज़र पड़ने पर मजबूरी में लाश को बाहर निकालना पड़ता है। लेकिन कई बार चुपचाप लाश बह जाने दी जाती है और मामला वहीं दब जाता है। बीते मंगलवार को सुजानगंज की तरफ से नहर में बहती एक लाश देखी गई। सुजानगंज पुलिस ने हल्का डका दिया और जैसे ही लाश मछलीशहर की सीमा में पहुंची, वहां की पुलिस ने भी वही रवैया अपनाया। फिर मड़ियाहूं की तरफ लाश बहा दी गई। ग्रामीणों ने गुप्त रूप से बताया कि ऐसा अक्सर होता रहता है—लाश निकालने के बजाय पुलिस जिम्मेदारी टालने में लगी रहती है। करीब 15दिन पहले चांदपुर पुलिया सिकरारा के पास भी एक लाश फंस गई थी। ग्रामीणों और मीडिया के दबाव में पुलिस को उसे निकालना पड़ा। जिम्मेदार अधिकारियों को इस मामले का संज्ञान लेकर उन थानों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो लाश निकालने के बजाय हल्का डकाने में लगे रहते हैं। पुलिस को संवेदनशीलता और सजगता के साथ काम करना होगा, तभी इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सकेगी।

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