किसानों को धान और गेहूं से अलग बेजोड़ मुनाफा देने वाली फसलों पर भी ध्यान देना चाहिए. सर्दियों के मौसम में मूंगफली की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा देती है. दरअसल, सर्दियों में मूंगफली की डिमांड बढ़ जाती है. क्या आप जानते हैं कि इसकी खेती कैसे होती है? आइए जानते हैं मूंगफली की खेती में किन बातों को रखना चाहिए ध्यान.
इन राज्यों में मुख्य रूप से होती है मूंगफली की खेती
मूंगफली एक तिलहन फसल है. मूंगफली के दाने और साथ में उनसे निकाला गया तेल दोनों की ही बाजार में काफी मांग रहती है. इसकी खेती वैसे तो पूरे देशभर में की जाती है, लेकिन गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक,आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से मूंगफली की खेती होती है. जून में बुआई के बाद अक्टूबर तक इसकी कटाई का काम होता है.
मूंगफली की बुआई बरसात आने के काफी पहले कर लेनी चाहिए, क्योंकि शुरुआत में बारिश पूरा खेल बिगाड़ सकती है. अगर अच्छे से अंकुरित होने से पहले बीज बारिश की भेंट चढ़ जाएं तो फलियों के सूखने की समस्या रहती है. इससे उत्पादन पर असर आएगा. खेत में बुआई के लिए पहले मूंगफली के बीजों का उपचार कर लें. इससे बीजों को बीमारियों से बचाया जा सकता है, फिर बुआई के बाद सिंचाई करें, इसके लिए बुआई के 15 से 20 दिन बाद स्प्रिंकलर से पानी देना चाहिए. फसलों पर हर 15-15 दिनों पर जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करते रहें. यह कीड़ो से फसलों को सुरक्षा को प्रदान करता है.
खेती के लिए क्या है जरूरी
मूंगफली की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए आपको फसल की बुवाई के लिए आधुनिक तरीके एवं अन्य विधियों की जानकारी हासिल करने का प्रयास करना चाहिए. मूंगफली की खेती के लिए सूर्य की अधिक रोशनी जरूरी है, क्योंकि इससे इसके दाने काफी अच्छे होते हैं. इसके साथ ही सही जलवायु का होना भी जरूरी है, नहीं तो अगर अनुकूल जलवायु नहीं मिलने से फसल की पैदावार खराब हो सकती है.
पोषण से भरपूर है मूंगफली
मूंगफली का सेवन काफी फायदेमंद माना जाता है. इसमें मैग्नीशियम, फोलेट और विटामिन ई जैसे कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. मूंगफली प्रोटीन का भी अच्छा स्रोत है। इसका सेवन करने से शरीर में एनर्जी भी बनी रहती है. शारीरिक विकास के लिए मूंगफली का सेवन एक सीमित मात्रा में रोजाना किया जा सकता है.