जौनपुर धारा, खेतासराय। बीती रात नगर के विद्यापीठ परिसर में शायर जफर शिराजी की स्मृति में आयोजित 17वें मुशायरे व कवि सम्मेलन में गजल और गीत के साथ हास्य व्यंग्य के कवियों ने खूब वाहवाही बटोरी। रात दो बजे बारिश हो जाने के कारण आयोजकों को मुशायरे को सम्पन्न करना पड़ा। मुशायरे का प्रारम्भ शायरा शाइस्ता सना ने कौमी य एकजहती गीत से ‘जिस्म है तो हिंदुस्तानी लेकिन जान तो हिंदुस्तानी है पढ़कर किया। इसके बाद हारून आजमी ने दिल से जो बात निकलती है निकल जानें दो, सुर्ख होठों को दोआओं से जल जानें दो गजल पढ़ा। सुलतान जहां ने गजल पढ़ा बेवजह बेसबब वो रुलाता रहा, फिर भी उस पर प्यार आता रहा तथा अली बाराबंकी ने शेर पढ़ा, नाजिश मेहर व मेहताब है तू, वाह किस दर्जा लाजवाब है तू। इसके अलावा अजम शाकिरी ने गजल पढ़ा बड़ी सर्द हवाएं है शबे गम पिघल रही है वो धुआं सा उठ रहा है कोई शाख जल रही है। गजल और गीत के अलावा डंडा बनारसी तथा अयूब वफा ने अपनी हास्य व्यंग्य कविताओं से श्रोताओं को लोट पोट कर दिया। इसके पूर्व मुख्य अतिथि पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने दीप प्रज्वलित कर मुशायरे का आरम्भ किया। पूर्व सांसद ने कहाकि इस तरह के आयोजनों से जहां लोगों में सौहार्द बढ़ता है वहीं भागदौड़ की जिंदगी में लोगों को तनाव से मुक्त मिलती है। मुशायरे का संचालन मारूफ देहलवी तथा अध्यक्षता नगर पंचायत अध्यक्ष वसीम अहमद ने किया। इस अवसर पर मुख्य रुप से प्रबंधक विद्यापीठ अनिल कुमार उपाध्याय, डाक्टर एमएस खान, डाक्टर वकील, डा. अनवर आलम, नजीर, मोहम्मद इश्तियाक प्रधान, अदनान खान, मो. फरहान, हम्माम वहीद आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम आयोजक खुर्शीद अनवर खां ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
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मुशायरे व कवि सम्मेलन में शायरों ने बाँधा समा

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