- अधिकारी के कार्यक्षेत्र से हटकर संचालक कर रहा फिटनेस का दावा
जौनपुर धारा, जौनपुर। इन दिनों जौनपुर में ड्रीमलैण्ड महोत्सव प्रदर्शनी एवं मेला का संचालन किया जा रहा है। ऐसे आयोजन मनोरंजन का साधन होता है। यह सैकड़ों कार्यकर्ताओं को लगभग दो महिनों का रोजगार भी देता है। प्रदर्शनी संचालक तरह-तरह के झूले, खाद्य व्यंजन, बच्चों के खेलने आदि के लुभावने सामग्री से मेले को सजाकर लोगों का मनोरंजन करतें है। ये नगर के लिये काफी गर्व की बात होती है कि नगर में ऐसे आयोजन समय-समय पर होते रहतें है जिससे ग्रीष्मावकाश के समय बच्चों के साथ ही बड़ों के लिये भी घूमने-फिरने का सस्ता साधन बना रहता है। लेकिन ऐसे में झूलों के फिटनेस/एनओसी का होना मेले का आनन्द लेने आये आम जनता के लिये खतरे का माहौल उत्पन्न कर सकता है। झूलों के संचालन के लिए आयोजक को शासन के तमाम नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। महोत्सव देखने के लिए हर दिन हजारों लोग पहुंच रहे हैं और झूलों का आनंद लेने में लोग पीछे नहीं है, लेकिन महोत्सव में चल रहे झूलों में से एक भी झूले का फिटनेस सर्टिफिकेट है या नहीं यह बड़ी बात है। ऐसे में हजारों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी हो सकता है। खास बात यह है कि इस लापरवाही का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ सकता है। नियमानुसार किसी भी स्थान पर लगने वाले मेले व महोत्सव के लिए महत्वपूर्ण होता है, कि आयोजक महोत्सव व मेले में लगने वाले सभी झूलों का फिटनेस कराएं। नियमानुसार आयोजक को झूलों का फिटनेस कराने के लिए पीडब्ल्यूडी के यांत्रिक खण्ड में आवेदन करना पड़ता है। इसके बाद इंजीनियर एक-एक झूले की जांच करके फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करता है। लेकिन खास बात यह है कि प्रदर्शनी संचालक ने झूलों का फिटनेस चेक कराया भी है या नही। लेकिन सवाल यह भी उठता है कि यदि प्रदर्शनी मानक को पूर्ण नहीं करता है तो इतने बड़े मेले का परमीशन कैसे मिल गया? इस मामले में जब मेले के संचालक से पूछताछ की गई तो मालूम हुआ सभी झूलों का फिटनेस करा कर रखा गया है लेकिन फिटनेस दिखाने की बात कहीं गई तो उन्होने सीटी मजिस्ट्रेट कार्यालय का हवाला देते हुए मामले को टाल दिया। संचालक के अनुसार उन्होने सभी झूलों का फिटनेस पीडब्ल्यूडी वाराणसी से चेक कराकर सर्टिफिकेट हासिल किया है। जबकि इस बात पुष्टी तब अधूरी रह गई जब इसकी जानकारी हासिल करने के लिये पीडब्ल्यूटी यांत्रिक खण्ड वाराणसी से बात की गई उन्होने साफ तौर पर बताया कि जौनपुर सहित अन्य कुछ जिलों में लगने वाले प्रदर्शनी झूलों का फिटनेस सर्टिफिकेट आजमगढ़ से जारी होता है और समय-समय पर प्रदर्शनी संचालक को यदि झूला चल रहा है तो चेक करवाना पड़ता है। नाम न छापने के शर्त पर प्रदर्शनी के एक कर्मचारी ने बताया कि झूले का एक बार फिटनेस कराकर चलाते रहतें हैं। विभाग के कर्मचारी कभी चेक करने नहीं आतें है। जबकि नियम यह है कि जिस क्षेत्र में पहली बार झूला लगाया जाता है वहाँ मौके पर आकर इंजीनियर को सभी झूलों का निरीक्षण कर सर्टिफिकेट जारी करना चाहिए और समय-समय पर आकर निरीक्षण करते रहना चाहिये। हालाकि झूलों का आजमगढ़ के सक्षम अधिकारियों द्वारा फिटनेस जारी किया गया है या नहीं यह जाँच का विषय है। ऐसी स्थिति में अधिकारिक ह्वप से प्रदर्शनी मेले में इंजीनियर से जाँच कराया जाना चाहिये, जिससे किसी प्रकार की अनहोनी से बचा जा सके।