- मशीन से उखड़ गए थे दोनों हाथ फिर भी नहीं मानी हार
‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती’। हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों को सत्य साबित किया है बरांव गांव की नौ वर्षीय बिटिया वंदना कुमारी ने। दो वर्ष पूर्व मशीन की चपेट में आने से दोनों हाथ उखड़ गए तो उसने पैरों को ही हाथ बना लिया। दुर्घटना के पांच महीने बाद ही पैरों से लिखना, पढ़ना और घर का सारा काम करना शुरू कर दिया। रोज स्कूल जाने के साथ ही वंदना विभिन्न प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़ कर भाग लेती है। बिटिया का हौसला देखकर हर कोई हैरान है।
चंदौली के शहाबगंज विकासखंड के बरांव गांव निवासी बबलू प्रजापति कृषक हैं। खेती से ही परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके दो पुत्र शुभम (13) व शिवम (11) और पुत्री वंदना (9) है। 22 जनवरी 2020 को उनके घर के बाहर मशीन से धान की कुटाई हो रही थी तभी गेंद लाने के दौरान वंदना मशीन के पट्टे की चपेट में आ गई। इससे उसके दोनों हाथ उखड़ गए। डॉक्टरों ने बताया कि वंदना के हाथ अब जुड़ नहीं सकते। पिता बबलू ने लाखों खर्च कर उसका इलाज कराया।