बीते साल 26 दिसंबर से देशभर में सुर्खियां बटोरने वाली पीलीभीत की बाघिन का 27 जनवरी को कानपुर चिड़ियाघर शिफ्ट किया गया था .स्वास्थ्य समस्याओं के चलते वन विभाग के अधिकारियों ने इसे कानपुर चिड़ियाघर भेजने का फैसला लिया था .कानपुर चिड़ियाघर के अधिकारियों के सामने इस बाघिन की जान बचाना एक बड़ी चुनौती थी. जिसे कानपुर के डॉक्टर ने स्वीकार किया, जिसके बाद लगातार 1 महीने से बाघिन का इलाज किया जा रहा है. अब काफी हद तक स्वस्थ हो गई है. वह अपनी पूरी डाइट लेने लगी है, उसका घाव भी उसका पूरा भर गया है.
आपको बता दें कि यह बाघिन 26 दिसंबर को पीलीभीत के अटकोना गांव में एक घर में घुस गई. घंटो तक दीवार पर बैठे रहने के बाद वन विभाग की ओर से इसे रेस्क्यू किया गया था. इस दौरान उसको पकड़ने में बाघिन काफी घायल हो गई थी. इसके साथ ही उसके दो दांत भी टूट गए थे. उसके सीने में बेहद बड़ा घाव हो गया था. ऐसे में उसकी स्थिति बेहद गंभीर हो गई थी. प्रदेश के विभिन्न चिड़ियाघरों ने इलाज करने में असमर्थता जता दी थी. इसके बाद कानपुर के डॉक्टर अनुराग सिंह के निर्देश पर इस बाघिन को कानपुर चिड़ियाघर लाया गया और यहां पर लगातार उसकी देखभाल की जा रही है.
बाघिन की हालत में हुआ सुधार
डॉक्टरों की देखभाल की वजह से अब बाघिन पूरी तरीके से स्वस्थ हो गई है. बाघिन ने पहले खाना पीना बिलकुल छोड़ दिया था. अब यहां आने के बाद वह अपनी डाइट भी पूरी लेने लगी है. अब वह दिन में 8 से 9 किलो मीट खा रही है और पूरा डाइजेशन कर रही है. इसके साथ ही अब उसके सीने का घाव भी पूरी तरीके से भर गया है सिर्फ घाव का निशान बचा हुआ है. डॉक्टर का कहना है कि अब यह पूरी तरीके से स्वस्थ है.
पीलीभीत की बाघिन को मिला नया नाम
कानपुर प्राणी उद्यान के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर अनुराग सिंह ने बताया कि पीलीभीत से घायल अवस्था में बाघिन लाई गई थी . जिनकी स्थिति बेहद गंभीर थी. बाघिन की उम्र बेहद कम थी वो 2 से 3 साल की थी. इसके साथ ही उसके दो दांत टूट गए थे और सीने में बहुत बड़ा घाव था. यहां पर उसका 24 घंटे निगरानी के साथ इलाज किया गया है. अब वह स्वस्थ हो गई है कानपुर चिड़ियाघर में उसको आध्या कहकर बुलाया जा रहा है.