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E-Paper 20-07-2025

E-Paper 19-07-2025

Homeअंतर्राष्ट्रीयतेहरान में शुक्रवार को अज़रबैजान के दूतावास पर हमला

तेहरान में शुक्रवार को अज़रबैजान के दूतावास पर हमला

ईरान की राजधानी तेहरान में शुक्रवार को अज़रबैजान के दूतावास पर हमला किया गया. इस हमले के दौरान एक शख्स ने कलाशनिकोव स्टाइल राइफल से हमले को अंजाम दिया. इस वारदात में अज़रबैजान दूतावास में राजनयिक पद पर तैनात सुरक्षा प्रमुख की मौत हो गई,  जबकि दो गार्ड घायल हो गए. ये जानकारी अज़रबैजान के अधिकारियों ने दी. अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल किसी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, न ही इसके पीछे का मकसद साफ हो पाया है.

अजरबैजान के राष्ट्रपति ने की निंदा

अजरबैजान के राष्‍ट्रपति इल्‍हाम अल‍ियेव ने ट्वीट कर इस हमले की निंदा की है. राष्‍ट्रपति इल्‍हाम अल‍ियेव ने कहा” हम तेहरान में आज हमारे दूतावास पर किए गए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं. मैं फर्स्ट लेफ्टिनेंट ओरखान रिजवान ओगलू असगारोव के परिवार के लिए गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं, जिन्होंने दूतावास और उसके स्टाफ को बचाने के लिए अपनी जान दे दी.

ईरानी मीडिया ने तुरंत नहीं दी जानकारी

तेहरान में अज़रबैजान दूतावास में हमले के घटनास्थल के कथित वीडियो में दूतावास के अंदर मेटल डिटेक्टर के पास एक शव पड़ा हुआ नजर आ रहा है. ईरान के सरकारी मीडिया ने हमले के संबंध में तत्काल कोई खबर नहीं दी है. अज़रबैजान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि “अभी इस हमले की जांच की जा रही है.” 

बयान के मुताबिक, हमलावर ने गोलीबारी कर एक सुरक्षा चौकी को भी नष्ट कर दिया. अज़रबैजान की उत्तर-पश्चिमी सीमा ईरान से लगती है. नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर अज़रबैजान और आर्मेनिया में संघर्ष के बाद से दोनों देशों (ईरान और अज़बैजान) के बीच तनाव  है. इस्लामी गणतंत्र को हिला देने वाले राष्ट्रव्यापी विरोध के बीच ईरान ने अक्टूबर में अज़रबैजान सीमा के पास एक सैन्य अभ्यास शुरू किया था. यही नहीं, अज़रबैजान के इज़रायल के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसे तेहरान क्षेत्र में अपने प्रमुख दुश्मनों में से एक के रूप में देखता है.

दरअसल अज़रबैजान ईरान के मुकाबले में इजरायल के ज़्यादा नजदीक है. दरअसल इसराइल और अज़रबैजान में 1992 से ही कूटनीतिक रिश्ते हैं. सोवियत संघ से आजाद होने के ऐलान के सिर्फ छह महीने बाद ही अज़रबैजान और इसराइल में ये रिश्ते बन गए थे. इसकी वजह इन दोनों देशों के एक ही मकसद होना है. ये दोनों देश ईरान और राजनीतिक इस्लाम पर नजर रखने के मकसद से साथ हैं.

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