Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img
Homeअपना जौनपुरढैचा की खेती से बढ़ती है मिट्टी की उर्वरता : जिलाधिकारी

ढैचा की खेती से बढ़ती है मिट्टी की उर्वरता : जिलाधिकारी

जौनपुर धारा, जौनपुर। जिलाधिकारी डॉ.दिनेश चंद्र द्वारा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने हेतु किसानों को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिये यूरिया का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है, क्योंकि इससे फसलों में नाइट्रोजन की आपूर्ति होती है, जो पौधों के विकास के लिये बेहद जरूरी है, किंतु यह रासायनिक खाद, यूरिया, फास्फोरस, पोटाश या पेस्टीसाइड्स आदि जैव उर्वरक व कीटनाशक नहीं है, जिसके कारण प्राकृतिक और जैविक खेती का मकसद पूरा नहीं हो पाता है। यही वजह है कि इसके दुरगामी समाधान के लिए अब किसानों के बीच ढैचा की खेती पर जोर दिया जा रहा है। यह जिलाधिकारी द्वारा कृषक हित की दृष्टि से अनुकरणीय प्रयास है और इसी दिशा में किसानों के बीच जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए एक माह पूर्व किसान खरीफ फसल गोष्ठी के माध्यम से जनपद जौनपुर में जो ढैंचा की बुवाई को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है, कोशिश है कि देशी खेती को बढ़ावा देने के लिए ढैंचा की खेती की दिशा में क्रांतिकारी कदम हो सकता है। नैसर्गिक खाद उत्पादन की यह विधि सस्ती, सर्वसुलभ, पर्यावरण अनुकूल और विभिन्न मायनों में लाभदायक है। उन्होंने किसानों से अनुरोध किया है कि इस नेक व जनहितकारी प्रयास का अनुकरण करें और किसानों की आय दुगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों को मजबूत करे। उन्होंने बताया कि कि ढैंचा की खेती सामान्य तरीके से ही करते हैं। इसकी बुवाई के मात्र डेढ़ महीने के अंदर ढैंचा के पौधों की लंबाई 3फीट हो जाती है और इसकी गांठों में नाइट्रोजन का भंडार भर जाता है। ढैंचा की जड़ में नाइट्रोजन होता है, इसकी पत्तियों के रस में खरपतवार व कीटनाशक गुण होते हैं। इसलिए यह बहुउपयोगी पैदावार है। यह पौधा कार्बनडाईऑक्साइड को भी अवशोषित करता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है। मिट्टी की जैविक संरचना में सुधार होता है। इस प्रकार ढैंचा की उपज से मिट्टी की उर्वरता में सुधार होता है। ढैंचा नाइट्रोजन स्थिरीकरण के माध्यम से मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है। इसलिए इससे विभिन्न फसलों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और यूरिया, पोटाश, डीएपी आदि विदेशी खादों और कीटनाशक आदि की जरूरत कम पड़ती है। वर्तमान दौर में रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग और उससे मिल रहे गुणवत्ताहीन व पोषक तत्व विहीन कथित तौर पर जहरीले खाद्य पदार्थों को नियंत्रित करने के लिए ही सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है ताकि प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बची रहे और बच्चों व समाज को एक अच्छा खाद्यान्न मिल सके। इसलिए इस दिशा में जारी सरकारी प्रयास आमलोगों के लिए स्तुत्य होनी चाहिए और जय किसान, जय जवान, जय विज्ञान और जय अनुसंधान पर आधारित सरकारी प्रयास को अपनाने में कोई कोताही नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें भी शासन के इस अभिनव प्रयास के साथ कदम मिलते हुए अपनी कृषि को जैविक आधारित बनाना चाहिए।

Share Now...