Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img
Homeअपना जौनपुरजिला महिला अस्पताल के चिकित्सक करतें है मरीजों का शोषण

जिला महिला अस्पताल के चिकित्सक करतें है मरीजों का शोषण

  • जच्चा-बच्चा के असुरक्षित का खौफ दिलाकर बाहर से करातें है आपात जाँच
  • बिना मामला समझे ही दिया जाता है बीएचयू जाने का सुझाव

जौनपुर धारा, जौनपुर। जिला महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवती महिलाओं व उनके परिवारों के मन में कुछ इसी तरह का खौफ बना रहता है कि यहां कहां ले आए, यहां तो गलत आपरेशन होता है, यहाँ के डॉक्टर पैसों और अच्छे रिपोर्ट के नाम पर बाहर से जाँच करातें हैं। इससे तो अच्छा बाहर प्राइवेट में ले जाते। ये सोच लोगों को निजी अस्पतालों के तरफ ले जाती है, और उसके लिये भी सरकारी अस्पताल में दलाल रूपी एजेंट टहलतें रहतें हैं। जिसके एवज में एजेंटों को मोटा कमीशन मिलता है। एजेंटों पर कार्रवाई नहीं होना विभाग की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है, और सोने पर सुहागा तब हो जाता है जब जिला अस्पताल में रिपोर्टों को आधार बनाकर डाक्टरों द्वारा मरीजों को इस कदर डराया जाता है कि या तो सरकारी अस्पताल छोड़कर किसी प्राइवेट अस्पताल में चलें जाये या फिर सीधा बीएचयू वाराणसी रेफर का रास्ता बना दिया जाता है। इन हरकतों से न सिर्फ सरकार की छवि धूमिल हो रही है बल्कि सरकारी योजनाओें का मरीजों को लाभ भी नही मिल पा रहा है। जिला महिला अस्पताल में बीते कई साल से निजी नर्सिंग अस्पतालों के एजेंटों या यूं कहें कि दलालों का अड्डा बना हुआ है। हैरत की बात यह है कि इन एजेंटों में कई आशाएं भी शामिल हैं, जो प्रतिदिन हजारों रुपये नर्सिंग अस्पतालों से कमा रहीं हैं। जिला महिला अस्पताल के भीतर और बाहर सक्रिय एजेंट गर्भवतियों को डराकर निजी अस्पतालों में ले जा रहें हैं। वहीं निजी अस्पतालों में ले जाई जाने वाली गर्भवती महिलाओं की सामान्य डिलीवरी नहीं कराई जाती है, क्योंकि इससे अस्पताल की कोई खास कमाई नहीं हो पाती है और ना ही एजेंट का कमीशन निकल पाता है। महिला अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीजों के लिए यहां की बदहाल व्यवस्था मुसीबत बनी है। अभी कुछ वर्ष पहले ही बने जिला महिला अस्पताल के नये भवन में ओपीडी के समय हर रोज सैकड़ों महिलाएं इलाज कराने आती हैं, तो वहीं सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बदहाल है। ओपीडी से लेकर जाँच तक की सारी सुविधाएं अस्पताल में मौजूद होने के बावजूद डॉक्टरों की मनमानी मरीजों को निजी अस्पतालों के ओर रूख अख्तियार करने को मजबूर करतें हैं। हालांकि ओपीडी के समय मरीजों को ज्यादा परेशान नहीं झेलनी पड़ता है लेकिन भर्ती मरीजों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल में उपचार के लिये आये कुछ मरीज के परिजनों का आरोप है कि वहाँ नियुक्त चिकित्सक मरीजों को रिपोर्ट खराब होने, बच्चे की धड़कन न मिलने सहित और भी कई प्रकार के मामलों का जाल बिछाकर परिजनों को डराकर सीधा बीएचयू के लिये रेफर कर देतें हैं। जबकि मरीज को इसकी कोई आवश्यकता ही नहीं होती है। शाम के समय कमीशन के लालच में अक्सर मरीजों को डराकर व आपात स्थिति बताकर बाहर से अल्ट्रासाउण्ड कराया जाता है, जिससे सम्बन्धित चिकित्सक का मोटा कमीशन सेट हो जाता है और फिर कागजों पर नियम कानून को दुरूस्त रखने के लिये सुबह अस्पताल परिसर से दोबारा अल्ट्रासाउण्ड कराया जाता है। वहीं एकाक घटना में जिला अस्पताल के रिपोर्ट में प्लेटलेट कम आने की शिकायत भी प्राप्त हुई जबकि वहीं दूसरी तरफ बाहर से जाँच कराये जाने पर मरीज का प्लेटलेट काउंट अस्पताल रिपोर्ट से बिल्कुल विपरीत रहा। ऐसा नहीं है कि जिला महिला अस्पताल के सारे चिकित्सक ही भ्रष्ट है विभाग में इस तरह के एकाक ऐसे चिकित्सक है जिनके कारण पूरा अस्पताल बदनाम हो रहा है। सरकारी अमले को इस घोर भ्रष्टाचार से लोगों को छुटकारा दिलाने के लिये विशेष अभियान चलाना होगा। जिससे मरीजों सरकारी योजनाओं का लाभ व उनके अधिकारों उनतक पहुँचाने में आसानी हो।

Share Now...