- फर्जी जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा के माध्यम से निकला लाखों रुपए
- जांच के लिए आवेदन पड़ने पर विभागीय अधिकारी कर रहे लीपा पोती
- गांव के विकास का वादा करके जीता था चुनाव, वसूली के लिए नोटिस भी हुई जारी
सिकरारा। मडियाहूँ विकासखण्ड के सिकरारा थाना अंतर्गत स्थित ग्राम सभा मेहंदी का ग्राम प्रधान पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार में लिप्त होने का मामला प्रकाश में आया है, उनके द्वारा किए गए कारनामें धीरे-धीरे अब उजागर होते जा रहे हैं। बड़े ही उम्मीद आशा और विश्वास के साथ ग्रामीणों ने उमेश यादव को क्षेत्र का प्रधान चुना था और सोचा कि पढ़े-लिखे योग्य कर्मठ ईमानदार उम्मीदवार हैं। गांव के विकास की बागडोर अगर उनके हाथों में सौंप दी जाएगी, तो गांव का चौमुखी विकास होगा। चुनाव जीतने के बाद कुछ विकास के कार्य किए गए, लेकिन विकास के नाम पर धीरे-धीरे फर्जी जॉब कार्ड बनाकर उसी के सहारे विकास के पैसे का जमकर बंदर बांट भी किया गया। जब इसकी पोल खुली तो सभी ग्रामीण आवाक रह गए, किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि ग्राम प्रधान इतना बड़ा भ्रष्टाचारी निकलेगा और गांव के विकास के लिए आए हुए पैसे का दुरुपयोग करेगा। मामले में गांव के ही निवासी विनोद कुमार सिंह ने अपने स्तर से जब इसकी जांच पड़ताल शुरू की तो चौकाने वाला मामला उभर कर सामने आया। प्रधान द्वारा लगभग कुल 30जाबकार्ड ऐसे बनाए गए हैं, जो जॉब कार्ड धारक गांव के निवासी नहीं है और ना तो गांव के अगल-बगल के ही निवासी हैं। जॉब कार्ड में जो नाम और पता दर्शाया गया है उनकी खोज की गई उनको धरती निगल गई या आसमान उनका कहीं भी पता नहीं चल रहा है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि बैंकों में उनका खाता भी खोल दिया गया, और वह किस आधार पर खोला गया, किस आधार पर उनके खाते में पैसा भेजा गया, किस आधार पर उस पैसे की निकासी की गई। यह सब जांच का विषय है। उक्त भ्रष्टाचार में बैंक कर्मचारियों से लेकर ब्लॉक के कितने कर्मचारी शामिल हैं यह सब जांच करने के बाद ही सामने आएगा। फिलहाल गांव के निवासी विनोद कुमार सिंह ने उक्त पूरे प्रकरण की जांच करने के लिए जिलाधिकारी को लिखीत प्रार्थना पत्र देकर जांच की मांग गई है। जिलाधिकारी ने उक्त प्रार्थना पत्र को विकास से संबंधित अधिकारियों को सौंपा और मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने इसकी जांच पड़ताल की तो भ्रष्टाचार खुलकर सामने आया। इस संबंध में जिला विकास अधिकारी मीनाक्षी देवी ने प्रथम दृष्टया में दोषी पाते हुए 154-474 की वसूली नोटिस जारी कर दी गई है। अभी वसूली हो नहीं पाई थी कि तब तक 25 लोगों का और फर्जी जॉब कार्ड निकाल कर सामने आ गया। जिसमें 2 लाख 43हजार 676 रुपए का मामला फिर से सामने आया। उक्त भ्रष्टाचार गांव में ही मनरेगा के तहत खोदे गए एक तालाब को माध्यम बनाकर निकासी की गई है। क्योंकि उक्त तालाब रातों-रात जेसीबी मशीन से खुदवा कर उसे पूरा कर दिया गया था। जब पैसे का मामला फंसा तो फर्जी जॉब कार्ड के सहारे ही सारे पैसे को निकाल कर बंदर बांट किया गया है। फिलहाल उक्त भ्रष्टाचार की जांच जिस तरह से चल रही है, उससे यह प्रतीत होता है के मामले की लीपापोती की जा रही है। अब यह देखना है कि मामले की निष्पक्ष जांच करके कार्रवाई की जाती है या फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।