जौनपुर। गर्मी ने न केवल लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है बल्कि इससे पशु-पक्षी भी बेहाल हो रहे हैं। भीषण गर्मी के चलते ही पशुपालक जहां अपने पशुओं को तीन से चार बार नहलाने लगे हैं, वहीं शहर में बाजारों पर भी गर्मी का असर दिखाई दे रहा है। यहां तक कि पेड पौधों की भी अतिरिक्त देखभाल की जा रही है।
सुबह आठ बजे से ही सूरज आग उगलने लग रहा है। उसके बाद गर्म हवा के थपेड़े कसर पूरी कर दे रहे हैं। भीषण गर्मी की वजह से दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता है। इक्का-दुक्का लोग ही सड़क पर दिखाई देते हैं। भीषण गर्मी में लोगों को दिन काटना मुश्किल हो रहा है। तपन व तेज धूप से घरों की छत पर रखी पानी टंकियों में पानी गर्म हो जाता है। दोपहर में आसमान से बरसने जैसे महसूस होता है। ऐसे में लोग घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।

हालाकि की रात में मौसम की नमी से लोगों को कुछ राहत रहती है। हालांकि मौसम में रविवार को आंशिक रूप से बदलाव होने के आसार दिखाई दे रहे हैं। आंशिक रूप से बादल छाने व धूल भरी हवा के साथ ही दोपहर बाद हई तेज आंधी के साथ बूंदा-बांदी को मानसून की दस्तक भी माना जा रहा है। यह भी माना जा रहा है रविवार की अपेक्षा सोमवार को को मौसम में बदलाव संभावित है। ऐसे में कहीं-कहीं धूल भरी हवाओं के साथ बूंदाबांदी होने की भी संभावना बन रही है। जिसके चलते अगले दिनों में तापमान में मामूली गिरावट हो सकती है। रविवार को जौनपुर का अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान ३१ डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। बढ़ती गर्मी के साथ ही हीट स्ट्रोक के मरीज भी बढ़ सकते हैं। ऐसे में गर्मी से बचाव के लिए लोग तरह तरह के उपाय भी कर रहे हैं। कोई नींबू पानी व शीतल पेय पदार्थों का सेवन कर तो कोई सिर पर कपड़े ढक कर ही घर से बाहर निकल रहा है। मजदूर से लेकर कारोबारी तक तीखी धूप व गर्म हवा का कहर झेल रहे हैं। शहर से लेकर गांव तक के बाजारों व सड़कों पर दोपहर में सन्नाटा पसर जा रहा है। सड़क पर वाहनों की रफ्तार भी धीमी पड़ जा रही है।
तेजी से सूख रही गोतमी नदी

जौनपुर। गोमती नदी तेजी से सूख रही है, कहीं पानी ने नदी का घाट छोड़ दिया है तो कहीं बीच तलहटी में रेत के लंबे-चौड़े टीले उभर आए हैं। पानी की जगह रेत उड़ रही है। शहर में शाही पुल और सद्भावना पुल के बीच नदी का स्वरूप नाले के रूप में तब्दील हो चुका है। शहर से निकलने वाले नालों का गंदा पानी सीधे नदी में जा रहा है। इसके चलते कई इलाकों में मलजल और कचरे के बजबजाने से दुर्गंध उठ रही है। नदी की दयनीय हालत से तटवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों के अलावा जलीय जीवों पर संकट मंडराने लगा है। शहर में शाही पुल से लेकर सद्भावना पुल और शास्त्री पुल के आगे तक नदी की दशा बेहद खराब हो चुकी है। नदी का पानी घाटों को पहले ही छोड़ चुका था। गर्मी के मौसम में जब पानी की सख्त जरूरत है, तब घाटों पर सिर्फ कचरा बजबजा है। तलहटी में थोड़ा-बहुत जो पानी बचा है, वह नालों के गिरने से बजबजा रहा है। शहर के नाले सीधे नदी में गिराए जा रहे हैं। नदी का जल स्रोत भूजल है, जो तेजी से नीचे जा रहा है। हनुमान घाट के नाले के कारण गोमती की दशा बदतर हो रही है। स्रोत सूख गए हैं। अब नदियां सिर्फ बरसात पर आधारित रह गई हैं। भूजल का अंधाधुंध दोहन हो रहा है, जिससे पानी का लेबल तेजी से नीचे भाग रहा है। नदियों में पानी का बहाव कम हो गया है और गहराई भी नहीं रह गई है।
बंद हो रहे भूजल वृद्धि के श्रोत
जौनपुर। भूगर्भ जल दोहन लगातार हो रहा है, पहले पानी की जरूरतें लोग कुएं से पूरी करते थे लेकिन अब हालात यह हैं कि मकान बनने से पहले बोरिंग होती है और सबमर्सिबल लग जाता है। पहले भूजल रिचार्ज के स्रोत भी ज्यादा थे। अब सड़क या मकान के रूप में जमीन का बहुत सा हिस्सा पक्का हो गया है, जिससे बारिश का पानी नाली और नालों के माध्यम से बह जाता है और धरती की प्यास नहीं बुझ पाती। बारिश में भी भारी कमी आई है।
बूंदा-बांदी ने बढ़ाई उमस

दोपहर बाद हुई बूंदा-बांदी के बाद क्षेत्र में और भी उमस बढ़ गई है। दिन भर तेज धूप और प्रचण्ड गर्मी के बीच दोपहर बाद हुए चले तेज आंधी के साथ ही बूंदा-बांदी ने उमस में बढ़ोतरी की है। जिससे लोगों की परेशानी बढ़ गई है। इस बूंदा-बांदी ने केवल सड़कों को गिला करने का काम किया है, लेकिन फिलहाल गर्मी से कोई राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। फोटो –