20वीं सदी में इस शेर को लिखने वाले साहिर लुधियानवी अगर आज जिंदा होते तो काफी मायूस होते. बीते 7 अक्टूबर को दुनिया में एक और जंग की शुरुआत हुई. इजरायल और फिलिस्तीन के बीच यूं तो कभी भी शांतिपूर्ण माहौल नहीं था लेकिन शनिवार सुबह हमास जिसका गाजा पट्टी पर कब्जा है, ने इजरायल पर हजारों रॉकेट दाग दिए थे. जवाब में इजरायल ने भी युद्ध की घोषणा कर दी.
युद्ध के चौथे दिन स्थिति कुछ ऐसी है कि एक तरफ इजरायल की सेना हमास पर लगातार हमला कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ है आतंकी संगठन- हमास (जो फिलिस्तीन के पक्ष में हैं) ने भी इजरायल पर हमला करना जारी रखा है. दोनों देशों के बीच चल रही इस जंग में अब तक हजारों मासूमों की जान जा चुकी है. सोशल मीडिया पर चारों तरफ जंग के वीडियो वायरल हो रहे हैं. इन वीडियो में कोई मां अपने जख्मी बच्चे को बाहों में पकड़ मदद की गुहार लगा रही है तो कोई बच्चा अपने परिवार के शव के पास बिलखता नजर आ रहा है. दोनों देशों के बीच चल रहे इस संघर्ष ने सिर्फ इन देशों के राजनेताओं को बल्कि पूरी दुनिया के देश को भी अलग-अलग गुटों में बांट दिया है. गए हैं. ऐसे में इस रिपोर्ट में हम आपको इजरायल और फिलिस्तीन से जुड़े उन सवालों के जवाब देंगे जिसके बारे में हर किसी का जानना बेहद जरूरी है.
1. कितना पुराना है इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष
आज जो यरुशलम है वह 4000 साल पहले बेबीलोन और फिर ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था. उस वक्त यहां यहूदियों पर अत्याचार किए जाते थे. अत्याचार के कारण यहूदी धीरे धीरे यरुशलम छोड़कर यूरोप के दूसरे देशों में बसने लगे.. 1941-45 के बीच यानी दूसरे विश्व युद्ध के बीच हिटलर ने जर्मनी में यहूदियों पर खूब अत्याचार और जमकर नरसंहार किया. जिसके बाद जंग खत्म के बाद यहूदियों ने वापस अपनी धरती पर जाने का फैसला ले लिया.
अब आज जहां फिलिस्तीन और इजरायल है उस पर ब्रिटेन का कब्जा था. ब्रिटेन ने फिलिस्तीन से समझौता करके यहूदियों के लिए इजरायल बनाने की कोशिश की. उस वक्त फिलिस्तीन में अरब रहा करते थे. अरब और यहूदियों के बीच संघर्ष को समाप्त करने में असफल रहे ब्रिटेन ने साल 1947 में फिलिस्तीन से अपने सुरक्षा बलों को हटा कर अरब तथा यहूदियों के समस्या का समाधान करने के लिये इस मुद्दे को नवनिर्मित संगठन संयुक्त राष्ट्र (UN) को सौंप दिया. जिसके बाद UN ने फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटने का फैसला किया. हिब्रू कैलेंडर के मुताबिक इजरायल की आज़ादी घोषणा के 70 साल पूरे हो रहे हैं. इजरायल के बनने के बाद लाखों की संख्या में फिलिस्तीनी अरबों को पलायन करना पड़ा था. वहीं दूसरी तरफ अरब देशों से लगभग छह लाख यहूदी शरणार्थी और विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में जिंदा बच गए ढाई लाख लोग इजरायल की स्थापना के कुछ सालों में वहां जाकर बस गए. इससे इजरायल में यहूदियों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई.
2. अल- अक्सा मस्जिद वाले इलाके को लेकर क्यों लड़ते रहे हैं दोनों देश
यूएन ने फिलिस्तीन और इजरायल को दो अलग अलग हिस्सों में तो बांट दिया लेकिन येरुशलम के अल अक्सा मस्जिद और टेंपल माउंट पर पेंच फंस गया. दरअसल यरूशलम शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई तीनों धर्मों में बेहद खास स्थान रखता है. पैगंबर इब्राहिम को अपने इतिहास से जोड़ने वाले ये तीनों ही धर्म यरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं.
ईसाइयों का पवित्र स्थान : येरुशलम में ईसाई इलाके में ‘द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर’ है. ‘द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर’ जिस स्थान पर स्थित है वहीं ईसा मसीह की मौत हुई थी, उन्हें उसी जगह पर सूली पर चढ़ाया गया था और यहीं से वो अवतरित हुए थे. दातर ईसाई परंपराओं के मुताबिक, ईसा मसीह को यहीं ‘गोलगोथा’ पर सूली पर चढ़ाया गया था.
मुसलमानों का पवित्र स्थान: येरुशलम में डोम ऑफ़ द रॉक और मस्जिद अल अक़्सा है. इस मस्जिद को इस्लाम का तीसरा सबसे पवित्र स्थल माना जाता है. मुसलमानों का मानना है कि मक्का से यहां तक पैगंबर मोहम्मद ने सिर्फ एक रात में यात्रा कर ली थी और यहां पैगंबरों की आत्माओं के साथ चर्चा की थी. अल अक्सा मस्जिद के कुछ कदम की दूरी पर ही डोम ऑफ़ द रॉक्स का पवित्र स्थल है यहीं पवित्र पत्थर भी है. मान्यता है कि पैगंबर मोहम्मद ने यहीं से जन्नत की यात्रा की थी. अल अक्सा मस्जिद में हर दिन हज़ारों की संख्या में लोग प्रार्थना करने आते हैं.
यहूदियों का पवित्र दीवार: येरुशलम में ही यहूदियों की पश्चिमी दीवार है. ये वॉल ऑफ दा माउंट का बचा हिस्सा है. माना जाता है कि कभी इसी स्थान पर यहूदियों का पवित्र मंदिर द होली ऑफ़ द होलीज़ हुआ करता था. यह यहूदियों का सबसे पवित्र स्थान था. यहूदियों का मानना है कि ये ही वो स्थान है जहां से विश्व का निर्माण हुआ और यहीं पर पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे इसहाक की बलि देने की तैयारी की थी. कई यहूदियों का मानना है कि वास्तव में डोम ऑफ़ द रॉक ही होली ऑफ़ द होलीज़ है.
ऐसे में अरब और यहूदियों के बीच इस शहर को लेकर विवाद शुरू हो गया. जिसे देखते हुए यूएन ने अल-अक्सा मस्जिद के 35 एकड़ के कैंपस को इंटरनेशनल कमिटी के देखरेख में रख दिया. हालांकि उस वक्त अरब देशों को अल अक्सा मस्जिद कैंपस को इंटरनेशनल कमेटी के देखरेख में रखना पसंद नहीं आ रहा था. इस शहर को लेकर मई 1948 में अरब और इजरायल के बीच युद्ध छिड़ गया. उस वक्त लेबनान, सीरिया, इराक और मिस्त्र जैसे अरब देशों ने इजरायल पर हमला कर दिया.
3. दो हिस्सों में कब और क्यों बंटा येरुशलम
जब 1948 में जब यह युद्ध खत्म हुआ तो येरुशलम शहर के दो हिस्से हो चुके थे ईस्ट और वेस्ट. ईस्ट हिस्से पर जॉर्डन का कंट्रोल रहा और वेस्ट पर इजरायल का.
साल 1967 में इजरायल पर एक बार फिर से अरब देशों (मिस्ट्र, सीरिया और जॉर्डन) ने हमला कर दिया. 6 दिनों तक चले इस युद्ध में अरब देशों को हार का सामना करना पड़ा. इस युद्ध में अल अक्सा और टेंपल माउंट वाले इलाके में इजरायल का कब्जा हो गया और इजरायल ने 35 एकड़ के कैम्पस वाले अल अक्सा मस्जिद को वक्फ ट्रस्ट के पास रहने दिया.
4. अब तक कितनी बार हो चुकी है अरब देशों के साथ इजरायल की जंग
साल 1967 के बाद इजरायल और फिलिस्तीन के बीच जंग जैसे हालात बन चुके हैं. 1973 के अक्टूबर महीने में अरब देशों ने इजरायल पर अचानक से हमला कर दिया था. हालांकि इजरायल ने इस बार भी अरब देशों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद साल 2008 के दिसंबर महीने में इजरायल ने गाजा पर लगातार तीन हफ्तों तक हमला किया. जवाबी कार्रवाई में फिलिस्तीन ने भी इजरायल पर हमला कर दिया. इस हमले में फिलिस्तीन के हजारों लोगों की जान गई थी.
साल 2012 के नवंबर महीने में इजरायल ने फिलिस्तीन के उग्रवादी संगठन हमास के मिलिट्री चीफ को मार गिराया था. उस वक्त भी लगभग डेढ़ सौ फिलिस्तीनियों की मौत हुई थी. इसके दो साल बाद जून 2014 को हमास ने इजरायल के तीन युवाओं को अगवा कर मार डाला था. जिसके जवाब में इजरायल ने गाजा पर रॉकेट हमले किए और उस हमले में लगभग 2000 से ज्यादा फिलिस्तीनियों की जान चली गई.
साल 2017 में अमेरिका ने येरुशलम में इजरायल की राजधानी घोषित कर दी जिससे नाराज फिलिस्तीन ने इसका जमकर विरोध किया और कई हिंसक घटनाएं भी हुई.
मई 2021 में इजरायली पुलिस ने अल अक्सा मस्जिद में छापा मार दिया जिससे नाराज हमास ने इजरायल में रॉकेट से हमला करना शुरू कर दिया. इजरायल के तरफ से भी रॉकेट दागे गए.
5. फिलिस्तीन में कौन कौन से क्षेत्र आते हैं
सबसे पहले हम इजरायल और फिलिस्तीन के भूगोलीय स्थिति के बारे में समझते हैं. इजरायल के दक्षिण-पश्चिम हिस्से और पूर्वी हिस्से में दो अलग-अलग क्षेत्र मौजूद हैं. दक्षिण-पश्चिम हिस्से को गाजा पट्टी के नाम से जाना जाता है और पूर्वी हिस्से को वेस्ट बैंक और वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी को ही फिलिस्तीन माना जाता है. हालांकि, गाजा पट्टी पर हमास का कब्जा है जो कि इजरायल विरोधी एक चरमपंथी संगठन है और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीन नेशनल अथॉरिटी की सरकार चलाती है.
6. क्या है फिलिस्तीन और इजरायल की मांग
वर्तमान में फिलिस्तीन की मांग है कि इजरायल साल 1967 से पहले की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं तक सीमित हो जाए और वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना करे. फिलिस्तीन चाहता है कि साल 1948 में अपना घर खो चुके फिलिस्तीन के शरणार्थी वापस आ सकें. इसके अलावा फिलिस्तीन पूर्वी येरुशलम को स्वतंत्र फिलिस्तीन राष्ट्र की राजधानी बनाना चाहता है. येरुशलम को इजरायल अपना अभिन्न अंग मानता है और इसलिए येरुशलम पर अपनी संप्रभुता चाहता है. इजरायल की मांग है कि पूरे विश्व इजरायल को एक यहूदी राष्ट्र के रूप में मान्यता दे दी जाए.
7. गाजा पट्टी में कितने फिलिस्तीनी आबादी रह रहे हैं?
इज़राइल, मिस्र और भूमध्य सागर के बीच बसा एक छोटा सा क्षेत्र है जिसका नाम है गाजा पट्टी. इस क्षेत्र को दुनिया के सबसे घनी आबादी वाला क्षेत्र कहा जाता है. फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन हमास गाजा में सक्रिय है और यही से इजरायल पर हमला कर रहा है. गाजा पट्टी लगभग दस किलोमीटर चौड़ा और 41 किलोमीटर लंबे क्षेत्र है.
यहां 20 लाख से ज्यादा आबादी है और प्रति वर्ग किलोमीटर औसतन लगभग 5,500 लोग लोग रहते हैं. गाजा पट्टी में रहने वाले फ़िलिस्तीनी हैं. यहां रहने वाले लोगों में मूल निवासी और शरणार्थी दोनों ही शामिल हैं. साल 1948 में इजरायल की स्थापना होने के बाद वहां विस्थापित हुए फिलिस्तीनी यहां रहने आ गए थे. गाजा पट्टी में रहने वाले ज्यादातर लोग उत्तर में, विशेषकर गाजा शहर में रहते हैं. यहां की जनसंख्या बहुत युवा है, लगभग 40% जनसंख्या 15 वर्ष से कम आयु की है.