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Dala Chhath Pooja 2024 : नहाय खाय से शुरू हो गया 4 दिवसीय डाला छठ

  • महापर्व को लेकर व्रतियों में उत्साह, तैयारियां जोरों पर

जौनपुर धारा,जौनपुर। जौनपुर में सूर्योपासना का महापर्व छठ मंगलवार से नहाय-खाय के साथ विधिवत शुरू हो गया है। इस चार दिवसीय पर्व का समापन 8 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इस महापर्व को लेकर नगर में तैयारियां जोरों पर हैं। छठ महापर्व को लेकर व्रतियों में उत्साह देखने को मिल रहा है। बाजार में खरीदारी का दौर भी जोरों पर है। चार दिवसीय इस पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से पांच नवंबर से होगी है और उसके बाद खरना, अगले दिन सूर्य की संध्या अर्घ्य और आठ नवंबर को उषा अर्घ्य की विधि से यह पर्व संपन्न होगा है। बाजार में पूजन सामग्री, फलों और प्रसाद की दुकानों पर भारी भीड़ उमड़ रही है। वहीं टोकरी, गन्ना, नारियल, ठेकुआ, केला, सिंघाड़ा और नींबू सहित अन्य पूजन के लिए आवश्यक पदार्थों की मांग में भारी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है।

कोतवाली चौराहा, सब्जी मंडी, स्टेशन रोड, ओलंदगंज और सिपाह जैसे प्रमुख स्थानों पर अस्थाई दुकानें लगाई गई हैं, जहां भक्तजन पूजन सामग्री खरीदने उमड़ रहे हैं। पूजन के लिए घाघरा, नींबू, संतरा जैसे फल मुजफ्फरपुर और मध्य प्रदेश से आए हैं। पर्व को देखते हुए नदियों और तालाबों के घाटों की विशेष साफ-सफाई की गई है, ताकि श्रद्धालु पूजा विधि को शुद्ध रूप में संपन्न कर सकें। शहर में अस्थायी छठ पर्व के पूजन से संबंधित सामग्री की अस्थायी दुकानें लगाई गई हैं,जहां लोगों की भीड़ उमड़ रही है। ज्ञात हो कि छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का विशेष महत्व है, जिसमें व्रती नदी व तालाबों के किनारे खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस महापर्व को लेकर लोग अपने घरों की साफ-सफाई और सजावट में जुटे पड़े हैं और विशेष तौर से सजा रहे हैं। व्रतियों के घरों में छठ पर्व से जुड़ी तैयारियों में विशेष उत्साह देखने को मिल रहा है। छठ पर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। प्रसाद में ठेकुआ, कद्दू-भात और अन्य पकवान बनाकर पूजा के लिए तैयार किए जाएंगे।  शास्त्रों के मुताबिक छठ पर्व को सबसे पहले महाभारत काल के वीर योद्धा सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू किया था। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे और वे रोजाना घंटों तक पानी में खड़े होकर उन्हें अर्घ्य देते थे। सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने। वर्तमान में भी छठ पर्व की वही परंपरा चली आ रही है।

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