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मणिकर्णिका घाट के गलियों में पहुंचा पानी, 1203 लोगों ने छोड़ा घर

वाराणसी। गंगा के बाढ़ का पानी मणिकर्णिका घाट के गलियों में पहुंच गया है। रविवार को दिनभर गलियों में नावें चलीं। सोमवार को भी...
Homeउत्तर प्रदेशसात समंदर पार से उड़ान भरकर चंबल में पहुंचे प्रवासी पक्षी

सात समंदर पार से उड़ान भरकर चंबल में पहुंचे प्रवासी पक्षी

मुल्कों के बीच सरहद की दीवार लांघकर पंछी, नदिया और पवन के झोंके मनचाहे स्थान पर पहुंच जाते हैं। सर्दी का मौसम आते ही प्रवासी पक्षी एक दिन में करीब 1000 मील से अधिक की दूरी तय करते हुए चंबल सेंक्चुअरी बाह और इटावा रेंज में पहुंचने लगे हैं। घड़ियाल और इंडियन स्कीमर के घर में गुलाबी सर्दी के साथ पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक हेडेड आईबिस, व्हिसलिंग टील, रुडी शेल्डक, ग्रे हेरॉन आदि पक्षियों ने डेरा जमा लिया है।  चंबल की आबोहवा परिंदों को यहां खींचकर लाती है। इनकी अठखेलियां पक्षी प्रेमियों के मन को हर्षित कर रही हैं। बाह के रेंजर आरके सिंह राठौड़ ने बताया कि इंडियन स्कीमर, रुडी शेल्डक, रिवर टर्न, ब्लैक बेलीड टर्न आदि चिड़ियां यहां प्रजनन कर अपना कुनबा बढ़ा रही हैं।  चंबल का रुख करने वाला ब्लैक हेडेड आइबिस (सफेद बुज्जा) जल में पाए जाने वाले सांपों को निगल लेता है। मछली, मेंढक, जलीय कीड़े-मकोडे़ इनका भोजन होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम थ्रेसकिओर्निस मेलानोसेफेलस है। आइबिस का सिर, गर्दन और पैर काले होते हैं। पंख सफेद होते हैं। चोंच नीचे की ओर मुड़ी होती है। इनकी लंबाई करीब 70 सेंटीमीटर होती है। एक किलो ग्राम से अधिक वजन वाले आइबिस करीब एक मीटर तक पंख फैलाते हैं। हिमालय क्षेत्र से चंबल पहुंचे पेंटेडेड स्टॉर्क (पीली चोंच वाले सारस) का आकर्षण ऐसा है कि मानो किसी पेंटर ने ब्रश से रंग भरे हों। इसका वैज्ञानिक नाम मायक्टेरिया ल्यूकोसेफला है। लंबी, पतली टांग, नुकीली चोंच दूसरे पक्षियों से पेंटेड स्टार्क को अलग करती है। पेंटेड स्टार्क पानी में सात सेमी की गहराई तक घुसकर अपना शिकार पकड़ लेते हैं। इनकी लंबाई औसतन एक मीटर, पंखों का फैलाव औसतन डेढ़ मीटर, वजन 2 से 3.5 किलो होता है। यूरोप, एशिया एवं अफ्रीका से चंबल का रुख करने वाली रुडी शेल्डक (ब्रह्मनी डक) की सतरंगी छटा पर्यटकों का मन मोह लेती है। स्थानीय लोग इस चिड़िया को सुरखाब और चकवा-चकवी के नाम से पुकारते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम टैडोरना फेरूजीनिया है। अंकुर, कलियां, घास, पत्तियां एवं कीट पतंगे इनका भोजन होते हैं। इनकी लंबाई 60-70 सेमी, वजन 1200-1600 ग्राम होता है। गला सिर तक पीला होता है। यूरोप, एशिया, अफ्रीका से चंबल पहुंचे ग्रे हेरॉन के उड़ने का अंदाज रोमांचित कर देता है। इनका वैज्ञानिक नाम अर्डिया सिनेरिया तथा स्थानीय नाम भूरा बगुला है। इसके सिर पर मुकुट, गाल, ठुड्डी और गर्दन के किनारे सफेद होते हैं। चोंच लंबी नारंगी और पैर गुलाबी होते हैं।  इनकी लंबाई करीब एक मीटर, वजन एक से डेढ़ किलोग्राम, पंख फैलाव 175-200 सेमी होता है। नर-मादा एक जैसे होते हैं, नर मादा के मुकाबले कुछ बडे़ होते हैं। सर्दी के मौसम में इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और म्यांमार से चंबल का रुख करने वाली व्हिसलिंग टील की सीटी सी आवाज स्थानीय लोगों को मंत्र मुग्ध कर देती है। इनका स्थानीय नाम सिली (सिल्ही) है। वैज्ञानिक नाम डेंड्रोसाइग्ना जावनिका है।  शिकार के दौरान इनकी जलक्रीड़ा  पर्यटकों को रोमांचित कर देती है। इनकी चोंच और पैर स्लेटी नीले-भूरे रंग के होते हैं। करीब 40 सेमी आकार वाली चिड़ियों का वजन 500-600 ग्राम होता है।

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