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हर रोज चेकिंग के बाद भी तिहाड़ के कैदी कैसे बना लेते हैं खतरनाक हथियार?

देश की सबसे हाई सिक्योरिटी जेल तिहाड़ में मंगलवार को कुख्यात गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई थी. यह हत्या गोगी गैंग के चार गुर्गों ने की थी. ताजपुरिया की हत्या के बाद जेल में गैंगवार की आशंका के चलते जेल में प्रशासन ने अधिकारियों को अलर्ट कर दिया है. तिहाड़ से कुछ हथियारों की रिकवरी की गई है. चौंकाने वाली बात ये है कि ये हथियार कैदी पंखे के ब्लेड से बना लेते हैं.

तिहाड़ जेल से बरामद हथियारों को कैदियों ने फैन के ब्लेड को तोड़कर बनाया था. कैदियों ने पंखे के ब्लेड पत्थर पर घिसकर चाकू की तरह तैयार कर दिए तो कुछ को खतरनाक तरीके से नुकीला बना दिया था. कैदी इन्हीं हथियारों से हमला करते हैं. कई बार टाइल्स को तोड़कर उसका चाकू बना लेते हैं. इस तरह के हथियारों की रिकवरी हाल ही में तिहाड़ जेल में हुई थी. अब सवाल ये है कि ऐसे हथियारों को बनाने में काफी समय लगता है, क्योंकि इसके लिए पत्थर पर कई दिन तक घिसना पड़ता है, जबकि जेल प्रशासन रोजाना हर बैरक की जांच करता है. फिर इस तरह कैसे जेल प्रशासन को इस सबकी भनक नहीं लग पाती? या फिर जेल में सब कुछ मिलीभगत से चल रहा है? आज तक/इंडिया टुडे ने सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के मास्टरमाइंड लारेंस बिश्नोई पर भी खुलासा किया था. आज तक/इंडिया टुडे ने बिश्नोई के तिहाड़ जेल बंद रहते हुए फोन पर बातचीत करते हुए इंटरसेप्ट की गई फोन कॉल्स का ऑडियो चलाकर खुलासा किया था कि बिश्नोई ने तिहाड़ में रहते हुए सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश रची थी, जबकि तिहाड़ प्रशासन दावा करता रहता है कि तिहाड़ में जैमर लगे हुए हैं. जिससे नेटवर्क जाम रहता है और मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

तिहाड़ में बंद हैं कई कुख्यात अपराधी

तिहाड़ जेल में बंद बड़े अपराधियों में अगर अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का नाम आता है तो सजायाफ्ता आतंकी यासीन मलिक का नाम भी शामिल है. इसके अलावा नामी गैंगस्टर और सरगनाओं में नीरज बवाना, काला जठेड़ी, नासिर उर्फ छेनू, अनिल भाटी, नवीन बाली, रोहित चौधरी, रोहित मोई, हाशिम बाबा, दीपक बॉक्सर, संपत नेहरा, हड्डी, अट्टे, किकड़ी, बीड़ी, चवन्नी-अट्ठन्नी जैसे तमाम नाम शामिल हैं.

तिहाड़ में कर दी गई थी गैंगस्टर की हत्या

मंगलवार को तिहाड़ जेल में गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी गई थी. यह इस तरह का कोई अकेला मामला नहीं है, बल्कि साल दर साल यहां ऐसी वारदातें होती रही हैं. टिल्लू का कत्ल पिछले 19 दिनों में तिहाड़ जेल में हुई दूसरी वारदात है, जब कैदियों ने गैंगवार में किसी की जान ली है. अब से चंद रोज पहले तिहाड़ के अंदर ऐसे ही प्रिंस तेवतिया की जान ले ली गई थी.

जेल में कभी भी हो सकती है गैंगवार

असल में तिहाड़ में दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत के अलग-अलग गैंग एक-दूसरे के साथ गठजोड़ बना कर क्राइम सिंडिकेट की तरह काम कर रहे हैं और अपनी-अपनी सुविधा के हिसाब से ये सारे गैंग एक-दूसरे से दुश्मनी रखते हैं. इनमें से ज्यादातर गैंग के या तो गुर्गे या फिर सरगना अब भी तिहाड़ जेल में बंद हैं. ऐसे में जेल के अंदर कभी भी फिर से गैंगवार हो सकती है.

जेल में दो गुटों के बीच होता रहा है टकराव

दिल्ली पुलिस कि रिकॉर्ड के मुताबिक, एक तरफ लॉरेंस बिश्नोई गैंग, काला जठेड़ी गैंग, जितेंद्र गोगी गैंग, राजस्थान का आनंदपाल गैंग और सुब्बे गुर्जर गैंग का एक सिंडिकेट है. वहीं दूसरी ओर देवेंद्र बंबीहा गैंग, नीरज बवाना गैंग, टिल्लू ताजपुरिया गैंग, संदीप ढिल्लू गैंग और हरियाणा का कौशल जाट गैंग एकजुट होकर मोर्चा लिए खड़ा है.

ये सारे के सारे गैंग अक्सर एक दूसरे को चुनौती देते रहते हैं और एक दूसरे से खून के प्यासे हैं. इन्हीं गैंग्स के गुर्गे दशकों से तिहाड़ जेल में एक दूसरे से टकराते और उनकी जान लेते रहे हैं. जेल के बाहर और जेल के अंदर शह मात का सिलसिला जारी है.

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