वाराणसी। बुधवार को 225वें दिन बिजली कर्मियों ने प्रान्तव्यापी विरोध प्रदर्शन जारी रखा। लगातार कई दिनों से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बीच विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा है कि झूठे आकड़ों, धमकी और दमन के बूते निजीकरण की साजिश कामयाब नहीं होने दी जायेगी। संघर्ष समिति द्वारा वाराणसी में टैरिफ की सुनवाई के दौरान निजीकरण का मुद्दा नियामक आयोग के सामने उठाकर निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त करने की मांग की जायेगी। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के पदाधिकारियों ने बताया कि निजी घरानों को मदद देने के लिए विद्युत वितरण निगमों ने निजीकरण के पहले ही टैरिफ में 45प्रतिशत तक वृद्धि का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेज कर निजीकरण के बाद बिजली दरों में होने वाली बेतहाशा वृद्धि का संकेत दे दिया है। संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में कुल 6327 करोड़ रूपये की सब्सिडी विभिन्न श्रेणी के उपभोक्ताओं को दी जा रही है। अत्यन्त दुर्भाग्य का विषय है कि सरकार की कैश फंडिंग के नाम पर पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन इस सब्सिडी को कैश गैप में जोड़ कर घाटे में दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में 5321 करोड़ रूपये टैरिफ की सब्सिडी है, निजी नलकूपों के लिए 376 करोड़ रूपये की सब्सिडी है और बुनकरों के लिए 630 करोड़ रूपये की सब्सिडी है। संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में वर्ष 2024-25 में उपभोक्तओं से 13297 करोड़ रूपये राजस्व वसूल किया गया। सरकारी विभागों पर 4182 करोड़ रूपये का राजस्व बकाया है जो सरकारी विभागों ने नहीं दिया है। सरकारी विभागों का राजस्व बकाया देना सरकार की जिम्मेदारी है। सरकारी विभागों का राजस्व जोड़ लिया जाये तो वर्ष 2024-25 में पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का कुल राजस्व 17479 करोड़ रूपये हो जाता है। उन्होने कहा कि पावर कारपोरेशन प्रबन्धन मुनाफे में चल रहे पूर्वांचल पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का झूठे आंकड़े देकर बढ़ाचढ़ा कर घाटा दिखा रहा है और इस आधार पर निजीकरण किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा है कि निजीकरण के लिए झूठे आकडों के साथ भय का वातावरण बनाया जा रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि बिजली कर्मी इन हथकण्डों से डरने वाले नहीं हैं और निजीकरण के विरोध में संघर्ष तब तक जारी रहेगा।
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सुनवाई के दौरान नियामक आयोग के सामने उठेगा निजीकरण का मुद्दा

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