भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ. हर्षवर्धन ने सक्रिय राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी उम्मीदवारों की पहली सूची सामने आने के बाद हर्षवर्धन ने यह कदम उठाया है. इस सूची में कुल 195 उम्मीदवार थे, लेकिन हर्षवर्धन का नाम शामिल नहीं था. वह चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद हैं और इस सीट पर उनकी जगह प्रवीण खंडेलवाल को टिकट दिया गया है. डॉ. हर्षवर्धन को कथित तौर पर पार्टी ने टिकट देने से मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ने का फैसला किया है. उन्होंने तय किया है कि वह फिर से एक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं देंगे और जनता की सेवा करेंगे. आइए जानते हैं कि राजनीति में आने से पहले वह क्या करते थे. जहां वह फिर से लौटने जा रहे है.
13 जनवरी 1954 को दिल्ली में जन्मे डॉ. हर्षवर्धन की शुरुआती पढ़ाई एंग्लो-संस्कृत विक्टोरिया जुबली सीनियर सेकेंडरी स्कूल से हुई. इसके बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर में गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज से उन्होंने उच्च शिक्षा पूरी की. उनके पास एम.बी.बी.एस, एम.एस की डिग्री है. वह ईएनटी सर्जन हैं. पंडित दीनदयाल के विचारों से प्रभावित हर्षवर्धन हमेशा से ही जनसेवा के लिए तत्पर थे. जनसेवा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों के कहने पर वह राजनीति में आए. दिल्ली में पहली बार बीजेपी सत्ता में आई तो हर्षवर्धन स्वास्थ्य मंत्री बने. उन्होंने दिल्ली में पोलियो उन्मूलन में अहम भूमिका निभाई. मई, 1998 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उन्हें डायरेक्टर जनरल्स कमेंडेसन मेडल’ से सम्मानित किया. इसके बाद वह लगातार विधायक बनते रहे और 2014-2019 में सांसद भी बने. एक बार दिल्ली सरकार और दो बार केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहने के बाद हर्षवर्धन अब फिर से सर्जन की भूमिका में नजर आएंगे. डॉ. हर्षवर्धन अपनी पोस्ट में लिखा है कि वह अब और इंतजार नहीं कर सकते. कृष्णा नगर में उनका ईएनटी क्लीनिक भी उनका इंतजार कर रहा है. ईएनटी सर्जन सिर और कान से जुड़ी सर्जरी में माहिर होते हैं. आमतौर पर सुनने में समस्या होने पर ऐसे सर्जन की जरूरत पड़ती है. डॉ. हर्षवर्धन करियर की शुरुआत में एक सर्जन के रूप में लोगों की सेवा करते थे और अब वह फिर से इसी काम के जरिए जनसेवा करने जा रहे हैं.