जौनपुर। उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की प्रधानाचार्य डा.रूचिरा सेठी के दिशा निर्देश में डॉ.सरिता पाण्डेय विभागाध्यक्ष, आब्स एण्ड गायनी एवं डॉ.ममता, विभागाध्यक्ष पीडियाट्रीक्स विभाग के द्वारा 06 अगस्त को विश्व स्तनपान सप्ताह पर अस्पताल भवन में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानाचार्य डॉ.रुचिरा सेठी ने अपने संबोधन में बताया कि विश्व स्तनपान सप्ताह हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में 01 से 07 अगस्त तक मनाया जाता है। स्तनपान न केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, बल्कि यह शिशु के स्वस्थ्य जीवन की पहली सीढ़ी है। यह शिशु को आवश्यक पोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता और भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करता है। साथ ही, यह माता को भी अनेक स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है। उप प्रधानाचार्य डॉ.आशीष यादव ने अपने उद्बोधन में जोर दिया कि स्तनपान कराने वाली माँ को विस्तारित परिवार और समुदाय के समर्थन की आवश्यकता होती है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.डा.ए.ए.जाफरी ने अपने विचरो को प्रकट करते हुए बताया कि स्तनपान जैसी यह साधारण चीज, जो एक माँ अपने बच्चे के लिए कर सकती है। आर्थोपेडिक्स विभाग के विभागध्यक्ष डॉ.उमेश सरोज ने बताया कि मातृत्व केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया नहीं है। यह आपका अदम्य धैर्य, आत्म-त्याग और नि:स्वार्थ सेवा का प्रवाह हैं। एक माँ की मजबूत बाँहें हमें जीवन की राह दिखाती हैं। उसी तरह हमारा आर्थोपेडिक्स विभाग भी आपकी जीवनधारा को पुन: प्रेरित करने की प्रयास करता है-चाहे वह चोटों का पुनर्निर्माण हो या गठिया जैसी विकारों के उपचार में समर्थन। प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.सरिता पाण्डेय ने स्तनपान के लिए शिशु की सही स्थिति और जुड़ाव पर व्याख्यान दिया। उन्होंने यह भी कहा की विशेषकर गर्भावस्था के दौरान मां का पोषण शिशु के समुचित विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान माँ को अपने सामान्य आहार से 300किलो कैलोरी अधिक पोषण लेना चाहिए, जबकि स्तनपान के दौरान उसे अपने आहार में 550किलो कैलोरी अधिक शामिल करना चाहिए। बाल रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.ममता ने बताया कि मां का दूध नवजात शिशु के लिए आदर्श है और एक माँ अपने बच्चे को सबसे अच्छा उपहार दे सकती है। माँ के दूध में जन्म से लेकर जीवन के पहले 6 महिनों तक प्रयाप्त वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व होते है और इस लिए अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए पहले 6 महिनों तक केवल स्तनपान कराना आवश्यक है। कार्यक्रम का संचालन डॉ.स्वाती विश्वकर्मा, सहायक आचार्य एवं डॉ.प्रियाशी सिंह, आब्स एण्ड गायनी विभाग के द्वारा किया गया। स्तनपान के दौरान होने वाली कुछ समस्याओं जैसे स्तन वृद्धि, स्तनदाह, फोड़ा और उनके प्रबंधन के बारे में बताया। बाल रोग विभाग की डा.रेनू एवं डा.प्रिति विश्वकर्मा द्वारा स्तनपान के लिए सही स्थिति तथा जुड़ाव व स्तनपान से जुड़े हुए कुछ तथ्य और भ्रांतियों पर भी विस्तृत जानकारी दी गयी। डॉ.जयसूर्या सहायक आचार्य, पीडियाट्रीक्स विभाग के कुशल नेतृत्व में एमबीबीएस फाइनल वर्ष के छात्रो द्वारा नुक्कड़ नाटक किया गया। डॉ.पूजा पाठक, सहायक आचार्य, कम्युनिटी मेडिसिन ने बताया कि समाज में कई भ्रांतियाँ, व्यस्त जीवन शैली और जागरूकता की कमी के कारण माताएं स्तनपान से दूर होती जा रही हैं। मेडिकल कालेज के चिकित्सा शिक्षक का भी दायित्व बनता है कि हम छात्राओं को विशेषकर किशोरियों को इस विषय में जागरूक करें ताकि आने वाले कल की माताएं स्वस्थ पीढ़ी का निर्माण कर सकें। इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षक डॉ.सीबीएस पटेल (परीक्षा नियंत्रक), डॉ.विनोद कुमार, डॉ.आदर्श कुमार यादव, डॉ.चन्द्रभान, डॉ.जितेन्द्र कुमार, डॉ.अचल सिंह, डॉ.विनोद वर्मा, डॉ.अमजा अंसारी, डॉ.मुदित चौहान, डॉ.नवीन सिंह, डॉ.अरविन्द यादव, डॉ.अजय, डॉ.संजीव यादव सहित तमाम स्टाफ, मरीज और तीमारदार उपस्थित थे।