लोग टशन के लिए वाहनों पर लगवा रहे सायरन और हूटर

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  • मॉडिफाई वाहनों पर होनी चाहिये कार्यवाही, निजी वाहनों पर लग रहा हूटर

जौनपुर धारा,जौनपुर। आज देशभर में तमात मॉडिफाइड वाहनों पर यातायात प्रशासन की कार्यवाही शुरू नहीं हुई है। नये नियम के तहत कम्पनी से आई हुई वाहनों पर किसी भी तरह का परिवर्तन करना कानूनन अपराध है। लेकिन आज जौनपुर जिले में अधिकांश सरकारी संस्थान से जुड़े निजी वाहनों पर मानों यह नियम लागू नहीं होता है। नगर में कई ऐसे ई-रिक्शा चल रहें है जिसके मालिक थानों पर पुलिसकर्मी के रूप में बैठकर सेवा दे रहा है, तथा सरकार से अलार्ट बाइकों व बड़े वाहनों के अलावा उनके निजी वाहनों पर हुटर व सायरन लगा हुआ है।

बताते चलें कि बाइक या कार मॉडीफाई कराने से पहले सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले में कहा गया है कि वाहन में कोई भी संशोधन नहीं किया जाना चाहिए जो उस के निर्माता द्वारा कागजातों में अनुशंसित मूल विनिर्देशों से अलग हो। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 52 में कहा गया है कि स्वामी को ऐसे किसी संशोधन की मंजूरी नहीं है जो रजिस्ट्रेशन कागजात में उल्लिखित वाहन की मूल जानकारी या स्वरूप को बदल दे। इसमें गाड़ियों की मूल संरचना, इंजन, निकास, बड़े पहिये, तेज हॉर्न, चौड़े टायर और साइलेंसर आदि शामिल हैं, जिनका बदला जाना अनुचित माना गया है। यदि किसी भी नियम का उल्लंघन होता है तो वाहन मालिक को प्रति बदलाव पांच हजार रुपये का जुर्माना अथवा छह माह कैद की सजा हो सकती है। तेजी से आती हुटर या सायरन की आवाज़ आपको एकदम चौंकना कर देती है। मगर जब देखते हैं कि कुछ लोग टशन के लिए इनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो बड़ी परेशानी होती है। ऐसा शहर के करीब हर हिस्से में हो रहा है। शहर की सड़कों पर दौड़ते वाहनों में लगे प्रेशर हॉर्न, हूटर और सायरन लोगों के लिए परेशानी बन गए हैं। पुलिस की कार्रवाई का इन पर कोई खास असर नहीं दिख रहा है, या यूं कहें कि ये सब कुछ लोगों के लिए ये स्टेटस सिंबल बन गया है। शनिवार को कलेक्ट्रेट परिसर में एक आजमगढ़ की पुलिस लिखी मोटरसाइकिल पर तेज आवाज वाला हुटर व हारन लगाया हुआ देखा गया। मजे की बात तो यह है कि उक्त गाड़ी पर सवार व्यक्ति भी वर्दी में ही था। दूसरों पर कानून का ठीकरा फोड़ने वाली पुलिस ही कानून की धज्जियां उड़ाती नजर आये तो भला आम जनता पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। यह कल्चर केवल बाइकों में नहीं बल्कि सत्ता पक्ष का झण्डा लगे तमाम चार पहिया वाहनों में भी आये दिन देखा जाता है। जिससे यह प्रतीत होता है कि जिन कानूनों को सरकार अमल कराने में लगी है, उन्ही का चोला पहनकर कुछ लोग कैसे नियमों की धज्जिया उड़ा रहें।

इमरजेंसी ही सायरन का अधिकार

हूटर और सायरन का इस्तेमाल इमरजेंसी में फायर ब्रिगेड की गाड़ी और एम्बुलेंस ही कर सकते हैं। इन्हें भी हर समय सायरन और हूटर बजाने का अधिकार नहीं है, एम्बुलेंस में मरीज होने पर ही सायरन और हूटर बजाया जा सकता है। इसके अलावा आग की सूचना पर जाते समय ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी में सायरन और हूटर का प्रयोग हो सकता है। इमरजेंसी की हालत में पुलिस भी सायरन के इस्तेमाल का अधिकार है।

मॉडिफाइड बाइक बनीं सिरदर्द

शहर में मॉडिफाइड बाइक लोगों के सिरदर्द बनी हुई हैं, इस प्रकार के मॉडिफाइड वाहनों से तेज धुएं के साथ फटाखे जैसी ध्वनि निकलती है। यह आवाज एक किमी दूर तक जाती है। तेज़ आवाज के कारण लोगों की गहरी नींद अचानक टूट जाती है। इसको लेकर कई लोगों ने पुलिस को कॉल करके शिकायत भी की है।

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