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लता मंगेशकर को संगीत शिक्षा केंद्र ने दी श्रद्धांजलि, कहा-उनके गीत हमेशा हमें सिखाएंगे

गाजियाबाद. भारत रत्न स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आज प्रथम पुण्यतिथि है. जबकि उनके चाहने वाले उनको संगीत की देवी, स्वर कोकिला या फिर लता दीदी के नाम से सम्बोधित करते थे. आज भले ही लता मंगेशकर के निधन को पूरे एक वर्ष हो गया है, लेकिन कला और संगीत प्रेमियों के लिए दीदी के गाने और उनकी गायिका का अंदाज आज भी जिंदा है. बता दें कि करीब 50 हजार से भी ज्यादा गाने गाने वाली लता मंगेशकर ने 6 फरवरी 2022 को 92 वर्ष की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी. आज देशभर में संगीत की दुनिया की उस विराट शख्सियत को लोग अलग-अलग तरीके से श्रद्धांजलि दे रहे है. गाजियाबाद के वसुंधरा सेक्टर-15 में स्थित संगीत शिक्षा केंद्र में स्वर कोकिला लता मंगेशकर को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई.
इस संगीत केंद्र की मुख्य मुक्ता वार्ष्णेय ने बताया कि संगीत जगत में लता मंगेशकर को हम आर्टिस्ट सरस्वती का दर्जा देते हैं. वो भले ही हमारे बीच ना हों, लेकिन उनकी गायिका और उनके सदाबहार गीत हमेशा ही हमें सिखाएंगे, हमें मनोरंजीत करेंगे. उनका हाथ संगीत जगत के ऊपर से उठ जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसलिए आज हमने उन्हें याद करते हुए कई गीत गाए. जिसमें ए मेरे वतन के लोगों, प्रेम की गंगा बहाते चलो आदि शामिल रहे. लता मंगेशकर ने 5 साल की उम्र में संगीत सीखना शुरू किया था. 9 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार पिता के साथ स्टेज परफॉरमेंस दी थी. 13 साल की उम्र में उनका पहला गाना रिकॉर्ड हुआ था. जबकि 1948 में गाए गीत ‘आएगा आने वाला’ फिल्म महल ने उन्हें हिंदी सिनेमा में बतौर सिंगर पहचान दिलवाई थी.

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