अयोध्या. खबर अयोध्या से है. अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर का निर्माण हो रहा है. अगले 12 महीने में भगवान राम को मूल गर्भ गृह में विराजमान भी करा दिया जाएग. इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं तो वहीं राम जन्मभूमि परिसर पहुंचने वाले लाखों भक्तों को भगवान श्री रामलला के साथ 15 और देवी-देवताओं व ऋषि मुनियों के भी दर्शन प्राप्त होंगे. राम मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि परिसर में राम मंदिर के साथ परकोटे में और परकोटे के बाहर 9 मंदिरों को बनाया जाएगा. इसके साथ ही गर्भ गृह में विराजमान होने वाले भगवान श्री रामलला के साथ धनुष, बाण और मुकुट भी होगा.
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने मंदिर निर्माण संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी को साझा किया है. राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक में कुछ बातों पर सहमति बनी है कि बालक राम की प्रतिमा चाहिए. उनकी आयु 2 वर्ष से 5 वर्ष तक हो सकती है. यह एक आम राय बनी. इसमें बालस्वरूप की कोमलता होनी चाहिए. शरीर में आंखों में चेहरे में उंगलियों में बाल सुलभ कोमलता चाहिए इस पर भी सब लोग एकमत रहे. बालक होने के बाद भी राम का पहचान धनुष और तीर से है, इसलिए धनुष एक छोटा तीर और राजा के पुत्र हैं तो सिर पर लगने वाला मुकुट भी होना चाहिए. इसलिए यदि मूर्ति पत्थर की बन रही है तो उसके साथ तीर धनुष अलग से रखी जाएगी इस पर सहमति बनी है.
महासचिव चंपत राय ने कहा कि परकोटा के निर्माण लगभग अंतिम दौर में है. परकोटे में 6 मंदिर भगवान सूर्य, मां भगवती ,भगवान गणपति, भगवान शंकर, भगवान हनुमान और अन्नपूर्णा देवी का मंदिर बनेगा. इस पर सभी की सहमति हो गई है. इसके बाद भी परकोटे के बाहर महर्षि बाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, महर्षि अगस्त, निषाद राज, शबरी, अहिल्या और जटायु के साथ राम के सखा सुग्रीव जो संपूर्ण जीवन में राम ने उन्हें सखा कहा है, इसलिए सुग्रीव का भी स्थान हो. यह सुझाव ट्रस्ट के सदस्यों के द्वारा आया है जिस पर वास्तुकार आर्किटेक्ट को कहा गया है कि इन मंदिरों को किन स्थानों पर सम्मान पूर्वक स्थापित कर सकते हैं उस पर वास्तुकार विचार करेंगे. उन्होंने बताया कि मंदिर परिसर में विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनी हैं. मंदिर के खंभों में लगभग 6000 से अधिक प्रतिमाएं बनाई जाएंगी. मंदिर के दीवारों में भी बनेगी इसके साथ ही लोअर प्लिंथ पर राम के जीवन के 100 प्रसंगों की मूर्तियां पत्थरों में नक्काशी कर उकेरा जाएगा, तो वहीं पर परकोटे के पत्थरों में उकेरने जाने वाले मूर्तियों को अब बरामदें में ही किया जाएगा. इस पर भी अध्ययन किया जा रहा है.