सिकरारा। एक पखवारे से लगातार हो रही बारिश से किसानों का भारी नुकसान हो रहा है किसान प्राकृतिक आपदा को देखकर मायूस हो गए हैं उनके समझ में अब यह नहीं आ रहा है कि अपने-अपने धान की फसलों को कैसे बचाया जाए। पहले तो फसले रोग से प्रभावित थी, किसी तरह खेतों में पक कर तैयार हुई जब काटने की बारी आई तो भारी बारिश ने किसानों को तबाह कर दिया। भारत कृषि प्रधान देश होने के कारण देश के किसान कृषि पर निर्भर है। ऐसे में भारी बारिश ने किसानों कि कमर तोड़कर रख दी है। किसानों के समझ में अब यह नहीं आ रहा है कि अपने फसलों को कैसे बचाया जाए भारी लागत और कड़े परिश्रम के साथ किसानों ने धान की रोपाई किया था। ऐसे में उनके ही आंखों के सामने ही धान की फसल बर्बाद हो रही है।

किसानों के आंख से मानों अब आंसू नहीं खून की बूंदें टपक रही है। एक तरफ सरकार बिहार चुनाव में मस्त है दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के किसानों की बर्बादी हो रही है। बहुत से किसान अपने फसलों को काट चुके हैं, खड़े फसल व कटी हुई फसल दोनों बर्बाद हो रही है। ऐसी स्थिति में किसानों ने सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है। अगर बारिश इसी तरह होती रही तो कटी हुई फसल जो खेत में जमीनोंपर पड़ी हुई उनमें अंकुर निकल आएंगे फिर किसानों के सारे परिश्रम पर पानी फिर जाएगा। इस संबंध में जौनपुर जिला किसान संघ के अध्यक्ष राजनाथ यादव ने कहा कि अभी तक किसानों का 40′ धान की फसलों का नुस्कान हो चुका है, अगर इसी तरह बारिश होती रही तो किसानों की भारी क्षति हो जाएगी। क्योंकि काट कर रखी गई धान की फसले 2 दिन में उग जाएगी। ऐसी स्थिति में उन्होंने सरकार से मांग की है कि हमारे देश में 15लाख करोड़ किसानों का केसीसी बकाया है, जो सरकार द्वारा माफ कर दिया जाना किसानों के हित में है। इसके अलावा किसानों का बिजली बिल भी माफ होना चाहिए।



