- पुण्यतिथि पर याद दिये गये पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह, श्रद्धांजलि समारोह आयोजित
जौनपुर। उमानाथ सिंह राजनीति में शुचिता के पर्याय थे। उनके व्यक्तित्व में सहजता सरलता एवं मृदुभाशिता का समावेश था। उक्त उद्गार पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ.महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने उमानाथ सिंह स्मृति सेवा संस्थान द्वारा पूर्व मंत्री उमानाथ सिंह की 31वीं पुण्यतिथि पर तिलकधारी महाविद्यालय के बलरामपुर सभागार में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि जिन दिनों पूरे देश में कांग्रेस की तूती बोलती थी उन दिनों उमानाथ सिंह ने राजनीति में पदार्पण किया। वे सत्ता की राजनीति करते तो कांग्रेस का दामन थामते, परंतु उन्होंने सत्ता की बजाय पं.दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा को चुना जो समाज के अंतिम व्यक्ति को रहने खाने की सुविधा उपलब्ध कराने पर केन्द्रित है। सत्ता द्वारा प्रायोजित अत्याचारों का विरोध करते हुए उन्होंने प्राणोत्सर्ग किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे पूर्व सांसद विद्या सागर सोनकर ने अनेक संस्मरणों के माध्यम से स्व. उमानाथ सिंह के शील, संयम और अनुशासनप्रियता पर प्रकाश डाला। समारोह की अध्यक्षता कर रहे प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री गिरीश यादव ने कहाकि वे प्रदेश के जिस भी कोने में जाते हैं वहां जौनपुर का होने के कारण लोग मुझसे स्व.उमानाथ सिंह के बारे में पूछते हैं। कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुरेन्द्र प्रताप सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह आदि ने विचार व्यक्त किया। कार्यक्रम के आरम्भ में अतिथियों को पुश्प गुच्छ स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम प्रदान करके सम्मानित किया गया। उक्त अवसर पर विधायक रमेश सिंह, प्रबंधक देवेन्दर सिंह, प्राचार्य डॉ.रामआसरे सिंह, पूर्व प्रमुख सुरेन्द्र प्रताप सिंह, पूर्व प्राचार्य डॉ.विनोद सिंह, दुश्यंत सिंह, वीरेन्द्र सिंह एडवोकेट, राजबहादुर सिंह, डॉ.अजय दूबे, डॉ.राजदेव दूबे, डॉ.हरिओम त्रिपाठी, डॉ.आरएन त्रिपाठी, नितिन सिंह, राकेश सिंह, हरिश्चन्द्र सिंह, डॉ.ओपी रघुवंश, राकेश तिवारी आदि उपस्थित रहे। आगन्तुकों का अभिवादन तिलकधारी महाविद्यालय के प्रबंधक राघवेन्द्र सिंह, संचालन पूर्व प्राचार्य डा.समरबहादुर सिंह तथा आभार पूर्व सांसद केपी सिंह ने किया। इस दौरान पूर्व मंत्री स्व.उमानाथ सिंह की 31वीं पुण्यतिथि पर जिला चिकित्सालय में उमानाथ सिंह की प्रतिमा पर राज्यमंत्री गिरीश चन्द्र यादव ने माल्यार्पण किया। इसके बाद रोगियों को फल वितरित किया गया।