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मणिकर्णिका घाट के गलियों में पहुंचा पानी, 1203 लोगों ने छोड़ा घर

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यूनिवर्सिटी में चल रहा था धर्मांतरण का बड़ा खेल, ईसाई बनाने के लिए किया गया 34 करोड़ खर्च

प्रयागराज. अवैध धर्मांतरण को लेकर सुर्खियों में आई नैनी स्थित एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी शुआट्स को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. शुआट्स ने विदेश से मिले करीब 34.5 करोड़ रुपए का इस्तेमाल अवैध धर्मांतरण के लिए किया है. यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में यह दावा किया है. यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में शुआट्स के निदेशक प्रशासन विनोद बिहारी लाल, कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और अन्य आरोपियों को जमानत दिए जाने का भी विरोध किया है.

हलफनामे के मुताबिक 34.5 करोड़ रुपए का स्रोत अमेरिका, जापान, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा जर्मनी व इराक जैसे देश हैं. वर्ष 2005 से अब तक यह राशि यीशु दरबार ट्रस्ट को ट्रांसफर की गई है. यहां से यह रकम चर्च के लोगों को ब्रॉडवेल हॉस्पिटल को दी जाती थी. इसके अलावा विभिन्न जगहों पर तलाशी के दौरान प्रचार सामग्री व दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिसमें इसाई धर्मांतरण के लाभों के साथ लोगों को लुभाने के लिए वस्तुएं शामिल हैं. प्रचार सामग्री में इस बात का उल्लेख है कि ईसाई धर्म अपनाने पर 35 हजार दिए जाएंगे. इसके लिए भी प्रेरित करने पर बोनस भी मिलेगा. ईसाई धर्म का प्रचारक बनने पर 25 हजार मासिक वेतन व पांच से 10 लोगों का धर्मांतरण कराने पर और अधिक बोनस मिलेगा. हलफनामे में कहा गया है कि धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया 40 दिन में पूरी होती है. मिशनरी अस्पतालों में भर्ती मरीजों का भी धर्म परिवर्तन कराया जाता था. अस्पताल के कर्मचारी इस प्रक्रिया में शामिल होते हैं. पुलिस ने हलफनामे में दावा किया है कि इवेंजेलिकल चर्च आफ इंडिया हरिहरगंज फतेहपुर के पादरी ने पूछताछ में यह जानकारी दी है कि वह और उसके साथी हिंदुओं और मुसलमानों को प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करा रहे हैं. इस मकसद के लिए वे दस्तावेज में भी नामों का हेरफेर करते हैं. हालांकि अवैध धर्मांतरण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कुलपति और निदेशक की गिरफ्तारी पर मार्च में रोक लगा दी थी. जबकि अन्य अधिकारियों की गिरफ्तारी पर 6 अप्रैल को रोक लगा दी गई है. दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इन आरोपियों को राहत देने से इनकार किया था. जिसके बाद आरोपियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. बता दें कि अवैध धर्मांतरण मामले में 15 अप्रैल 2022 को फतेहपुर कोतवाली में पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. इसके बाद जनवरी 2023 में भी कोतवाली फतेहपुर में अवैध धर्मांतरण मामले में 2 नए मामले दर्ज कराए गए थे. आरोपियों द्वारा नौकरी, शिक्षा और घर देने का वादा कर लोगों का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा था. जांच के दौरान सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के चांसलर डॉ जेट्टी ए ओलिवर, कुलपति बिशप राजेंद्र बी लाल और प्रशासनिक अधिकारी विनोद बी लाल की भूमिका सामने आई थी. मामले में एक नाबालिग लड़की सहित 35 नामजद और 20 अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. आईपीसी की धारा 153-ए, 506, 420, 467 और 468के तहत मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद 23 जनवरी 2023 को सुल्तानपुर व फतेहपुर जिले के दो व्यक्तियों ने अवैध धर्मांतरण का मुकदमा दर्ज कराया. धर्मांतरण के मामले में इंडियन बाईटेरियन और इवेंजिकल चर्च के साथ ही नैनी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी शुआट्स का भी नाम सामने आया था. एक एफआईआर सुल्तानपुर जिले के बहाउद्दीनपुर गांव के सर्वेन्द्र कुमार सिंह ने दर्ज कराई, जिसमें शुआट्स के कुलपति आर बी लाल, निदेशक विनोद बी लाल  के साथ 10 लोग नामजद किए गए हैं. वहीं 40 से 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. एफआईआर में अजय लॉरेंस, रमाकांत, जोनाथन, एस बी लाल, स्टेफिन पास, डेरिक डेनिस पर भी केस दर्ज हुआ है. इसके साथ ही वर्ल्ड विजन इंडिया संस्था के सदस्य, मिशनरी हॉस्पिटल के लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराई गई है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि मुफ्त शिक्षा, चिकित्सा, नौकरी और 15 हजार कैश का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया गया है. इसके साथ ही सुंदर लड़की से शादी करवाने का लालच देकर भी रविंद्र कुमार सिंह ने धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया है. दूसरी एफआईआर फतेहपुर के रहने वाले संजय सिंह की ओर से दर्ज कराई गई है. एफआईआर में प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में 47 लोगों को नामजद किया गया है और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है. वाइस चांसलर प्रो आरबी लाल यूनिवर्सिटी के एक हिस्से में हर हफ्ते लगाते हैं यीशु दरबार.

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