मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के 24 घंटे से भी कम समय के बाद मोहम्मद मुइज्जू ने भारतीय सैनिकों को देश से बाहर निकालने के अभियान को तेज कर दिया. इससे पहले मुइज्जू ने अपने चुनावी अभियान में भी ‘आउट-इंडिया’ का जमकर प्रचार प्रसार किया था, जिसके दम उन्होंने चुनाव भी जीता था.
राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने बाद मुइज्जू ने कहना शुरू कर दिया कि वे अपने देश में किसी भी विदेशी सैनिक को तैनात नहीं रहने देंगे. ऐसे में यह जानना जरुरी हो जाता है कि क्या वाकई भारतीय सैनिक मालदीव में मौजूद हैं. सच यह है कि भारतीय सैनिक मालदीव में तैनात नहीं हैं. दरअसल, तथ्य यह है कि भारत ने पिछली मालदीव सरकार को गश्ती जहाज, डोर्नियर विमान और 2 एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर गिफ्ट किए थे. ये विमान और जहाज वहां पर मेडिकल इमरजेंसी, सर्विलांस और एयर रेस्क्यू ऑपरेशन में काम आते हैं. उन जहाजों और विमानों की मेन्टिनेंस और संचालन के लिए भारत के केवल कुछ चालक दल और तकनीशियन ही मालदीव में मौजूद हैं. इसके साथ ही मालदीव में तैनात संपत्तियां किसी सैन्य बल का प्रतिनिधित्व करने के बजाय मानवीय मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. इन संपत्तियों को भारतीय सेना से जोड़ना न केवल गलत है बल्कि झूठ है. साल 2019 के बाद से, कुल 977 मिशन हुए हैं, जिनमें से अधिकांश मालदीव की आबादी को आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान कराई गई है. यानी भारतीय कर्मचारियों ने वहां पर लोगों की जान बचाई है. इसके साथ ही, भारत की तरफ से भेजे गये डॉर्नियर विमान की मदद से मालदीव ने अपनी सर्विलांस क्षमता को मजबूत किया है, जिससे वह आतंकियों और समुद्री डकैतों के चंगुल से काफी हद तक सेफ हुआ है. इसके साथ ही, जब मालदीव जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों का सामना कर रहा है, समुद्र के बढ़ते स्तर से उसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, भारत ने मालदीव में 1.5 बिलियन डॉलर से अधिक का महत्वपूर्ण निवेश भी किया है.