Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

रिहाइश कच्चे घर में कोबरा सर्प का डेरा, दहशत में परिवार

सरायख्वाजा के मंगदपुर गांव का मामलासर्प मित्र ने डेढ़ दर्जन कोबरा के बच्चों का किया रेस्क्यूजौनपुर। सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के मंगदपुर गांव में एक...
Homeदेशमॉनसून आते ही गुरुग्राम-दिल्ली कैसे बन गए 'तालाब'

मॉनसून आते ही गुरुग्राम-दिल्ली कैसे बन गए ‘तालाब’

मॉनसून की बारिश से जहां लोगों के चेहरों पर खुशी देखने को मिली तो वहीं कई इलाकों में मुसीबत भी बनी. देश की राजधानी से सटी प्लांड सिटी गुरुग्राम का भी हाल-बेहाल है. बरसात में जलभराव से ऐसी स्थिति देखने को मिली कि लोग हैरान और परेशान नजर आए. ऐसे में गुरुग्राम के लिए मॉनसून को मुसीबत का दूसरा का नाम कहा जाए तो गलत नहीं होगा. सुनियोजित तरीके से बनाया गया गुरुग्राम शहर अपने दावों के उलट साबित हुआ. हालांकि, अन्य प्लांड सिटी नोएडा और ग्रेटर नोएडा की स्थिति गुरुग्राम के मुकाबले काफी बेहतर है. जहां हर मॉनसून में गुरुग्राम पानी में डूब जाता है तो वहीं नोएडा-ग्रेटर नोएडा को ऐसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता. आइये जानते है इसके पीछे की वजह.

जलभराव की सबसे बड़ी वजह इन दोनों शहरों में नालों की संख्या का अंतर है. जहां नोएडा में 87 किलोमीटर लंबे बड़े नाले हैं तो वहीं गुरुग्राम इतनी ही आबादी के लिए 40 किलोमीटर से कम लंबे नाले पर निर्भर है. जबकि दोनों शहरों में करीब 30 लाख लोग रहते हैं. वहीं, नोएडा में जमीन या घर व्यक्तियों या बिल्डरों को बेचने के लिए पहले कुछ मानदंडों को पूरा करना पड़ता है. जिसमें सड़क, बिजली और सीवर की व्यवस्था जरूरी है. इन तीन बुनियादी सुविधाओं के बाद ही जमीन को आवासीय या व्यावसायिक प्रयोजन के लिए बेचा जाता है. नोएडा की प्लानिंग गुरुग्राम से काफी बेहतर है, जिसके परिणामस्वरूप शहर में जलजमाव कम होता है. आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह का कहना है, “नोएडा की प्लानिंग गुरुग्राम से बेहतर है. गुरुग्राम के उलट, प्राधिकरण द्वारा अधिग्रहित नोएडा की जमीन को पहले बिजली, सड़क और सीवर जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलती हैं, उसके बाद ही यह आवासीय या वाणिज्यिक बिक्री के लिए उपलब्ध होती है. वहीं, शहरभर में 87 किलोमीटर से अधिक का जल निकासी नेटवर्क पूरी तरह से काम करता है और अत्यधिक बारिश के दौरान सारा पानी हिंडन या यमुना नदी में बह जाता है.” अर्चित ने आगे कहा कि जलभराव नोएडा में भी होता है, लेकिन जल निकासी की बेहतर व्यवस्था की वजह से ये जल्दी ही साफ हो जाता है. वहीं, गुरुग्राम की बात करें तो यहां तीन नाले हैं. एंबिएंस मॉल के साथ एक नाला सीधे नजफगढ़ नाले में जाता है और दूसरा, डीएलएफ 1, 2 और 3, सुशांत लोक-1, एमजी रोड से पानी लाता है और तीसरा आसपास के अन्य क्षेत्र इफ्को चौक से होते हुए नजफगढ़ नाले में लाता है.  आर्किटेक्ट और टाउन प्लानर अर्चित प्रताप सिंह का कहना है कि नजफगढ़ ड्रेन शहर के 60 प्रतिशत से अधिक जल निकासी का बोझ उठाती है. यह ड्रेन केवल 27 किमी लंबी है और अभी भी निर्माणाधीन है. इससे सिस्टम में जटिलताएं होती हैं और शहर में बेहद जलभराव होता है. अरावली पर्वतमाला गुरुग्राम शहर को अर्धचंद्राकार या अर्धवृत्ताकार तरीके से घेरती है. पहाड़ी ढलानों से बारिश का पानी सीधे शहर की ओर आता है और शहर के पहले से भरे जल निकासी प्रणाली में प्रवेश करता है क्योंकि शहर में अलग से तूफानी जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, इसलिए मध्यम से भारी बारिश के दौरान यहां समस्या बढ़ जाती है.

Share Now...