Become a member

Get the best offers and updates relating to Liberty Case News.

― Advertisement ―

spot_img

कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सम्पन्न हुई प्रारंभिक परीक्षा

डीएम-एसपी ने निरीक्षण कर लिया पल-पल का जायजाचप्पे-चप्पे पर तैनात रही पुलिस, 34 केन्द्रों पर हुई परीक्षाजौनपुर धारा,जौनपुर। रविवार को उ.प्र.लोकसेवा आयोग के पीसीएस...
Homeअपना जौनपुरमहिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता शिविर का आयोजन

महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता शिविर का आयोजन

जौनपुर धारा, जौनपुर। अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय प्रशांत कुमार सिंह ने अवगत कराया है कि शनिवार को विकास खण्ड करंजाकला में महिलाओं के अधिकारों के प्रति जागरूकता प्रदान कराने हेतु विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। शिविर को सम्बोधित करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश तृतीय/सचिव पूर्णकालिक, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण प्रशान्त कुमार द्वारा बताया गया कि झ्दएप् अधिनियम 2013 में भारत सरकार द्वारा कार्यस्थल पर महिलाओं द्वारा सामना किये जाने वाले यौन उत्पीड़न के मुद्दे को हल करने के लिये बनाया गया एक कानून है। अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के लिये एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण बनाना तथा उन्हें यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करना है। खासकर महिलाओं में यह आम होता जा रहा है। यही कारण है कि उन्हें कन्या भ्रूण हत्या, मानव तस्करी, पीछा करना, यौन शोषण, यौन उत्पीड़न और उनमें से सबसे भयानक अपराध, बलात्कार जैसे अत्याचारों का शिकार होना पड़ता है। इन प्रकरणों से सम्बन्धित महिलाओं को प्राप्त अधिकार व प्राप्त संरक्षण के संबंध में उनको अवगत कराया गया। सहायक सांख्यिकी अधिकारी सुरेन्द्र कुमार यादव ने बताया कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत एक महिला के मौलिक अधिकारों का हनन और उसके जीवन के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गरिमा के साथ जीने और किसी भी पेशे को निभाने का अधिकार है। किसी भी व्यवसाय, व्यापार पर जिसमें यौन उत्पीड़न से मुक्त सुरक्षित वातावरण का अधिकार शामिल है। कारखाना एक्ट कानूनों के तहत प्राप्त संरक्षण और अधिकतम कार्यावधि की अवधि, मातृत्व अवकाश उपलब्ध होने की व्यवस्था व कार्य स्थल पर शिशुओं को संरक्षित रखने की व्यवस्था व बच्चों को फिडींग करने का अधिकार आदि से अवगत कराया गया। पैनल लॉयर देवेन्द्र कुमार यादव, द्वारा बताया गया कि कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत 14वर्ष से कम के किसी भी बालक को काम पर नहीं लगाया जा सकता। 14वर्ष से अधिक आयु के बालक अर्थात 15 से 18 तक के किसी भी किशोर को तब तक काम पर नहीं लगाया जा सकता, जब तक डॉक्टर द्वारा प्रमाणित स्वास्थ्य प्रमाण पत्र नहीं मिल जाता। कुछ खतरनाक व्यवसायों में बालकों और महिलाओं को लगाना मना है। कारखाना अधिनियम में मजदूरी सहित वार्षिक अवकाश की सुविधा का भी वर्णन किया गया है। रिसोर्स पर्सन शकुन्तला शुक्ला एवं सविता सिंह यादव द्वारा हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के तहत विवाहित महिला का अपनी निजी स्ांपत्ति पर पूरा अधिकार होता है जिसे वह अपनी इच्छा के अनुसार बेच या उपहार में दे सकती है। हिन्दू अविभाजित परिवार के मामले में वह अपने पति तथा उसके परिवार से रहने के लिए जगह, किसी तरह की मदद तथा अन्य खर्चे के लिए पैसे मिलने की हकदार होती है। कार्यक्रम का संचालन सहायक विकास अधिकरी रामकृष्ण यादव के द्वारा किया गया। इस अवसर पर समूह सखी अनीता देवी, सरिता, रीनू देवी, आभारानी, अजीविका सखी, आरती, रूकमणी प्रजापति, नीलू, अंजू व अन्य ग्रामीण नागरिक उपस्थित रहें।

Share Now...