- कार्यवाही के बाद भी धड़ले से बिक रहे हैं चाइनीज मांझे
जौनपुर धारा,केराकत। मकर संक्रांति का पर्व हमारे भारत में बड़े ही हर्षोलाश से मनाया जाता है, इस दिन को लोग तिलहन वगैरह खाकर पतंगबाजी करते हैं, जो की पारंपरिक रीति रिवाज में ढल चुका है। पतंगबाजी में पारंपरिक कॉटन के मांझे पतंग उड़ाने के लिए प्रयोग में लाए जाते रहें थे। आधुनिकता के दौर में इस त्यौहार को ग्रहण लगने के लिए चाइनीज मांझे को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जब से भारत में चाइनीस मांझे की बिक्री धड़ल्ले से होने लगी चहुं ओर पशु पक्षियों के कटने से लेकर मानव समाज के भी गले कटने की खबरें आती रही है। शासन-प्रशासन द्वारा चाइनीज मांझे के खिलाफ बड़ी-बड़ी कार्रवाई किए जाने की भी खबरें आई पर मोहल्ले, गली, नुक्कड़ों पर अभी भी चाइनीज मांझे बेचे जाने से यह सिद्ध होता है कि जिला प्रशासन की कार्यवाही का चाइनीज मांझे की बिक्री का खासा असर नहीं है। यदि समय रहते चाइनीज मांझे को नहीं रोका गया तो मानव समाज के लिए खतरा है ही, साथ-साथ हमारे पर्व मकर संक्रांति को भी ग्रहण लगने की संभावना पुरजोर होती नजर आएगी।