- राष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाओं ने साझा किए अपने विचार
जौनपुर धारा, मुंगराबादशाहपुर। राष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य एक बालिका के अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। लड़कियों को समाज में बराबरी का अवसर देना है इसके साथ ही देश की बालिकाओं का समर्थन करना और लिंग आधारित पूर्वाग्रहों को दूर करना है। सरकार द्वारा संचालित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, बालिका समृद्धि योजना, सीबीएसई उड़ान स्कीम, धनलक्ष्मी योजना सहित कई योजनाएं संचालित है। कन्या भ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर रोक, बालिकाओं की शैक्षणिक एवं स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार, उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला होगा। आज भी कई स्थानों पर लड़के और लड़की में भेदभाव और अन्याय के मामले कम नहीं हुए है। इसके लिए सामाजिक जागरूरकता जरूरी है साथ ही लड़कियों को समान अवसर और उनका आत्मनिर्भर होना भी आवश्यक है। जब एक लड़की सामाजिक आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेगी तो परिवर्तन स्वत: नजर आएंगे। आज के लिए ये संकल्प लेने का दिन है कि हम न तो अपने घर में लड़कियों के साथ किसी तरह का भेदभाव करेंगे, न ही अपने आसपास किसी को ऐसा करने देंगे। उक्त संबंध में क्षेत्र में पढ़ने लिखने वाली बालिकाओं ने अपने विचारों को व्यक्त किया। कक्षा 10 की बालिका आयुषी गुप्ता ने बालक और बालिका के बिगड़े लिंगानुपात पर चिंता जताई और कहा इसे अनुपात को समान लाने पर बल दिया जाए। कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए आगे आएं अगर कोई अल्ट्रासाउंड सेंटर लिंग बताने का जुर्म चोरी छुपे कर रहा हो तो इसकी सूचना दें। सिटी पब्लिक स्कूल की कक्षा 9 की छात्रा प्रतिज्ञा साहू ने कहाकि बालिकाओं के खिलाफ हिंसा न केवल उनके जीवन और स्वास्थ्य को, बल्कि उनके भावात्मक कल्याण और भविष्य को भी खतरे में डालती है। भारत में बालिका के खिलाफ हिंसा अत्यधिक है और लाखों बालिकाओं के लिए या कठोर वास्तविकता है। कक्षा 11 की छात्रा वेदिका गुप्ता ने कहा कि वर्तमान समय में जिस तरीके से बालिकाओं के साथ अपराध हो रहे हैं, इसके लिए प्रदेश व जिले के हर सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों तथा अन्य संस्थाओं में अन्य एक्टिविटी के साथ एक क्लास बालिकाओं को मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग दी जाए जिससे संकट के समय बालिका आत्मरक्षा स्वयं कर सके। उन्हें जूडो कराटे सहित अन्य सुरक्षा संबंधित ट्रेनिंग दी जाए। इससे बालिकाओं को आत्मसम्मान व सुरक्षा में मील का पत्थर साबित होगा। कक्षा 10 की छात्रा पलक केसरी ने कहा कि आज के जमाने में जहां शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए हर दिशा में सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं, वहीं किसी ना किसी कारण से बालिकाओं को शिक्षा से वंचित रहने की घटनाएं भी सामने आती हैं। अशिक्षा के कारण ऐसे बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पाता इसलिए उन्हें उचित और अनुचित का निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। अशिक्षित बालिका में आत्मविश्वास की कमी होती है इसलिए उन्हें अधिकतर दूसरों की सलाह से काम करना पड़ता है अत: उन्हें धोखेबाजी का शिकार होना पड़ता है।