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Jaunpur News : नहीं मिला आवास तो शौचालय बना सहारा

खुले आसमान के नीचे रहने को विवश है विधवा महिलापरिवार को जरूरत है अंत्योदय कार्ड की, बना है पात्र गृहस्थी कार्डजौनपुर धारा, केराकत। देश...
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बदलते परिवेश में प्रसव के दौरान कम हो रही नार्मल डिलीवरी

  • गलत खान-पान और व्यायाम न करने से गर्भावस्था में होती है परेशानी

जौनपुर धारा, जौनपुर।  मातृत्व किसी भी महिला के लिए एक अद्भुत उपहार है। एक महिला के शरीर में एक बच्चे को विकसित होने में 9 महीने का समय लगता है। गर्भधारण और जन्म के बीच के समय को गर्भधारण काल कहा जाता है। कंसीव करने के बाद नौ महीने की प्रेगनेंसी को हेल्दी बनाए रखना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। प्रेगनेंट होने के बाद दिमाग में बस एक ही बात आती है कि अब मुझे क्या खाना चाहिए, कैसे एक्सरसाइज करनी चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। अधिकांश डॉक्टरो का कहना है कि सिजेरियन की तुलना में सामान्य प्रसव करवाया ज्यादा सुरक्षित है। इन दिनों सीजर से प्रसव का मामला बढ़ता ही जा रहा है।

जानकारों द्वारा आम तौर पर इस समस्या के कई कारण बताये जा रहें है। आज से लगभग एक दशक पहले भी अधिकांश प्रसव नार्मल अवस्था में ही होते थे लेकिन बदलते परिवेश में अधिकांश डिलीवरी ऑपरेशन से ही कराये जा रहें है। इसका सीधा कारण खान-पान और चिकित्सा व्यवस्था को माना जा रहा है। विशेषज्ञों की माने तो आज की पीढ़ी हार्ड वर्क से कोसो दूर है। जबकि पूर्व की महिलाएं प्रेग्नेन्सी के दौरान भी खुद को इस तरह रखती थी कि मानों स्थितियां एकदम सामान्य हो और गांव की दाई आदि की सलाह से ही प्रसव हो जाया करता था। उन दिनों महिलाएं मेहनती हुआ करतीं थी और जंक फूड का सेवन विशेष अवसरों पर किया जाता था। मेहनत करने से शरीर को व्यायाम का भी लाभ मिल जाता है। जो न केवल गर्भवती महिलाओं के लिये ही फायदा है बल्कि पेट में पल रहें बच्चे को दुरूस्त रखता था। लेकिन आज का जो दौर है उसमें घरेलू नुस्खों से ज्यादा चिकित्सीय सलाह के भरोसे चलना पड़ता है। गर्भवती महिला की उम्र यदि 35 वर्ष से अधिक है तो सामान्य प्रसव होने में थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। यदि गर्भवती महिला का वजन अधिक है तो भी अधिकांश डॉक्टर ऑपरेशन की सलाह देते है। पहले और दूसरे प्रसव के बीच 20 माह से कम का अंतराल है तो भी सिजेरिन डिलेवरी होती ही है सामान्य नही। पेट में पल रहे शिशु का वजन यदि अधिक हो जाता है तो भी सिजेरियन की संभावना अधिक होती है। विशेषज्ञों की सुझाव मानें तो प्रेगनेंसी के दौरान ही नहीं बल्कि कंसीव करने से पहले और डिलीवरी के बाद भी महिलाओं को अपनी डायट का ध्यान रखना होता है। प्रेगनेंसी में पौष्टिक आहार लेने से शिशु के मस्तिष्क का सही विकास होने में मदद मिलती है और जन्म के समय शिशु का वजन भी ठीक रहता है। प्रेगनेंसी के नौ महीनों में शरीर शिशु के पोषण और विकास के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा होता है। इस समय में शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन की जरूरत होती है जिसे अंडे से पूरा किया जा सकता है। इससे मां और बच्चे दोनों की प्रोटीन की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है। लेकिन आधे उबले हुए या अधपके अंडे खाने से साल्मोनेला का खतरा रहता है। यह एक प्रकार का बैक्टीरियल संक्रमण है जो आंतों को प्रभावित करता है। स्वस्थ और फिट रहने के लिए मेहनत से बेहतर और कोई तरीका नहीं है। विशेषज्ञों की मानें तो नियमित व्यायाम से मां और शिशु दोनों स्वस्थ और सुरक्षित रहते हैं। स्वस्थ जीवनशैली का सीधा प्रभाव बच्चे की सेहत पर पड़ेगा। तनाव स्वास्थ्य का सबसे बड़ा दुश्मन है।जिसका असर गर्भवती महिला और उसके बच्चे दोनों पर पड़ता है। गर्भ में शिशु के सर्वोत्तम विकास को सुनिश्चित करने के लिए गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करना बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं को अपने दैनिक आहार में बहुत सारी सब्जियां, फल, कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज और कम संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें हर दिन लगभग पांच से छह, अच्छी तरह से संतुलित, छोटे भोजन खाने चाहिए, जिसमें फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे शतावरी, फोर्टिफाइड अनाज, गेहूं के बीज और संतरे शामिल हैं। शिशु में न्यूरल ट्यूब और रीढ़ की हड्डी संबंधी दोषों को रोकने के लिए फोलेट या फोलिक एसिड महत्वपूर्ण है।

डॉ.शकुन्तला यादव स्त्री रोग विशेषज्ञ

गर्भावस्था के दौरान, माँ का रक्त नाल के माध्यम से उनके बच्चे को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड और अपशिष्ट को भी शिशु से दूर ले जाता है। इसके कारण, सभी अतिरिक्त गतिविधियों के लिए मां के शरीर में रक्त की मात्रा 50प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसलिए, रक्त की मात्रा में इस वृद्धि को बनाए रखने के लिए गर्भवती महिलाओं को सामान्य से अधिक पानी पीना चाहिए। इसके अलावा जैसे ही महिलाओं को अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चले, प्रसवपूर्व विटामिन लेना शुरू कर देना बुद्धिमानी है। दैनिक प्रसवपूर्व मल्टीविटामिन यह सुनिश्चित करने में मदद कर सकते हैं कि माँ और बच्चे दोनों को आवश्यक पोषक तत्व सही मात्रा में मिलें, जिनमें कैल्शियम, आयरन और फोलिक एसिड शामिल हैं। गर्भावस्था के दौरान, महिलाओं को हमेशा अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता के साथ सभी निर्धारित प्रसव पूर्व देखभाल जांचों में भाग लेना सुनिश्चित करना चाहिए। इससे डॉक्टर को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि सबकुछ ठीक से चल रहा है और कोई समस्या होने पर समय पर उपाय किए जा सकते हैं। यह तनाव को कम करने, मूड को बेहतर बनाने और रक्त परिसंचरण में सुधार करने में मदद कर सकता है। फल खाने को अच्छी आदतों में गिना जाता है और कहां भी जाता है यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन एक सेव खाता है तो उसको डॉक्टर से पास जाने की आवश्यकता नही होती है।

डॉ.के.विजय स्त्री रोग विशेषज्ञ

गर्भ में शिशु के सर्वोत्तम विकास को सुनिश्चित करने के लिए गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करना बहुत महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं को अपने दैनिक आहार में बहुत सारी सब्जियां, फल, कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ, साबुत अनाज और कम संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों को शामिल करने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें हर दिन लगभग पांच से छह, अच्छी तरह से संतुलित, छोटे भोजन खाने चाहिए, जिसमें फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ, जैसे शतावरी, फोर्टिफाइड अनाज, गेहूं के बीज और संतरे शामिल हैं।

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