विधानसभा चुनाव में बड़े उलटफेर के बाद कांग्रेस तेलंगाना में सरकार बनाने जा रही है. यहां की कुल 119 सीटों में से कांग्रेस ने 64 सीटों पर जीत दर्ज की है, जो बहुमत के आंकड़े से अधिक है. राज्य में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 60 सीटों की जरूरत होती है.
कांग्रेस की इस जीत के साथ ही तेलंगाना में 10 साल से सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) को सत्ता से बाहर होना पड़ा है. हार के बाद बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बीआरएस 38 सीटों पर जीत चुकी है और 1 सीट पर आगे है. इस चुनाव में बीजेपी 8 सीटें जीतने के साथ तीसरे नंबर पर रही. उसे 19.90 फीसदी वोट मिले हैं. पार्टी का कहना है कि राज्य में उसका ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. दरअसल, पिछले चुनाव में पार्टी मात्र एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी और उसे सात फिसदी वोट मिले थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान में बीजेपी की बंपर जीत के बाद बीजेपी मुख्यालय में संबोधन के दौरान तेलंगाना चुनाव का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि तेलंगाना की जनता और बीजेपी वर्करों का विशेष धन्यवाद करता हूं. हर चुनाव में तेलंगाना में बीजेपी का ग्राफ बढ़ रहा है. मैं तेलंगाना के लोगों को भरोसा दिलाता हूं कि हम आपकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. इस बार के चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार कटिपल्ली वेंकट रमण रेड्डी ने कामारेड्डी सीट से मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को हराया है. राव और रेवंत दोनों ही दो-दो सीटों से लड़े है. वेंकट रमण ने सीएम केसीआर को 6741 मतों से हराया. उन्हें 66652 वोट मिले हैं. केसीआर को 59911 वोट और रेवंत रेड्डी को 54916 वोट मिले हैं. वहीं, 2018 में गोशमहल विधानसभा सीट से जीत दर्ज करन वाले टी राजा सिंह ने इस बार भी जीत दर्ज की है. वो लगातार तीसरी बार जीते हैं. बीजेपी के फायरब्रांड नेता और पूर्व राज्य प्रमुख बंदी संजय कुमार बीआरएस प्रतिद्वंद्वी गंगुला कमलाकर रेड्डी से 3,163 वोटों से हार गए. निजामाबाद के सांसद डी अरविंद को भी हार का सामना करना पड़ा है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की है.