निजी अस्पतालों में इलाज के नाम पर चल रहा है लूट का धंधा

परिजनों का आरोप : तीन दिन पहले मृत हुए मरीज को आईसीयू में रख कर किया जाता रहा उपचार

  • निजी अस्पतालों पर कड़े कदम उठाने की है आवश्यकता
  • सुविधाओं के नाम मरीज के परिजनों से लूट, चेहरे से झलकता है दर्द

जौनपुर धारा,जौनपुर। निजी चिकित्सालयों में डॉक्टर खुले आम लोगों का आॢथक शोषण कर रहे हैं आने वाले मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की कुंभकर्णी नींद खुलने का नाम नहीं ले रही है। अस्पताल किस प्रकार से अस्पताल लूट के अड्डा बना हुआ हैं, और महंगे इलाज के नाम पर लोगों का शोषण कर रहे हैं। अस्पतालों के मनमाने रवैये से लगभग हर किसी को दो-चार होना पड़ता है। स्थिति नाजुक मौके पर होने वाली लापरवाही से लोगों की जान भी चली जा रही है। जिसका परिणाम यह होता है कि आये दिन कोई न कोई नई घटना सामने आ रही है। ऐसे चन्द चिकित्सालयों के कारण अच्छे चिकित्सकों को भी सेवा पर भी उंगली उठती रहती है। नगर में कुछ चिकित्सालयों को छोड़ दिया जाये तो अधिकांश चिकित्सकों के अस्पतालों में १० प्रतिशत भी मानक को पूरा नहीं किया गया है, और यही लोग जिले की चिकित्सा व्यवस्था पर सवालिया निशान दे रहें है।

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का नमूना देखना है तो जौनपुर की धरती पर आसानी से देखा जा सकता है। अफसरों की लापरवाही के कारण यहां निजी अस्पतालों में अनुभवहीन डॉक्टर मोटी कमाई के लालच में लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहें है। आलम यह है कि मरे हुए व्यक्ति का भी उपचार किया जाने लगा है। विगत कुछ वर्ष पूर्व अक्षय कुमार की एक फिल्म में यह देखा गया था कि मृत मरीज को जिन्दा बताकर इलाज के नाम मोटी कमाई की जा रही है। लेकिन नगर के लोग तब दंग रह गये जब ऐसी ही घटना नगर के एक निजी अस्पताल में सुनने को मिली। जहाँ नगर के एक निजी हॉस्पिटल के चिकित्सालय में सड़क हादसे में घायल शुभम निषाद नामक युवक का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था, आरोप है कि इलाज के दौरान शुभम की 3 दिन पहले मौत हो गई। मौत की बात तीन दिन बाद परिजनों को डॉक्टर द्वारा बताई गई। मौत की खबर सुनते ही परिजन डॉक्टर के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा शुरू किया और डॉक्टर के स्टाफ द्वारा बॉडी न देने की शिकायत डीएम व  एसपी से की। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंच कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और मामले की जाँच पड़ताल में जुट गई है। नईगंज स्थित इस निजी चिकित्सालय में जफराबाद निवासी शुभम निषाद की 10दिन पहले एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल होने के कारण भर्ती किया गया था। परिजनों द्वारा बताया गया कि ईलाज के दौरान शुभम निषाद की तीन दिन पहले ही आईसीयू में मौत हो चुकी थी। लेकिन डॉक्टर द्वारा धोखे में रखकर  तीन दिन तक ईलाज किया और परिजनों को तीन बाद बताया कि शुभम की मौत हो चुकी है। मौत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया और दर्जनो की सँख्या में महिला व पुरुष अस्पताल पहुंचकर डॉक्टर के ऊपर घोर लापरवाही लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंचकर किसी तरह को समझा-बुझाकर मामले को शांत कराया और शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया उसके बाद मामले की जांच पड़ताल में जुट गई हैं।

पीड़ितो का आरोप, मौत के बावजूद उपचार

वही पीड़ित ने डॉक्टर के ऊपर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि तीन दिनों से हम लोग डॉक्टर से पूछ रहे हैं। डॉक्टर द्वारा यही बताया जा रहा था कि वह अभी जिंदा है उसे आईसीयू में रखा गया है जबकि शुभम की मौत तीन दिन पहले ही हो चुका था लेकिन डॉक्टर द्वारा हम लोगों को धोखा दिया जा रहा था और मिलने भी नहीं दिया जा रहा था।

लापरवाही पर चिकित्सक को दो साल तक की हो सकती है सजा

इलाज में लापरवाही के कारण मरीज की मौत हो जाए, तो स्वजन संबंधित डाक्टर के खिलाफ आइपीसी की धारा 304ए के तहत केस दर्ज करा सकते हैं। दोषी पाए जाने पर डाक्टर को दो साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकती है। इसके अलावा चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में आइपीसी की धारा 337 और 338 के अंतर्गत भी मुकदमा किया जा सकता है। इसमें छह माह से लेकर 2 साल तक की जेल और जुर्माने का प्रविधान है।

खुद की एमआरपी डालकर चार गुना महंगी बेची जाती है दवा

निजी अस्पतालों में चल रहे मेडिकल स्टोरों पर मूल एमआरपी से चार गुना प्रिंट रेट पर इंजेक्शन भी बिकता है। जबकि कई मेडिकल स्टोर बिना पंजीकरण के ही चल रहें हैं। निर्धारित मानक चेक किया जाय तो मेडिकल स्टोरों की खटीया खड़ी हो जायेगी। सूत्र बतातें हैं कि निजी अस्पताल दवाओं पर खुद के हिसाब से एमआरपी डलवाकर कम्पनी का नाम चेंज कर देतें है, जिसके कारण वह दवायें सिर्फ उन्ही के मेडिकल स्टोरों पर मिलेंगी। ऐसे में मरीजों को दवा के लिये पैसों के बन्दोबस्त में दर-दर की ठोकरें खाने को मिलती हैं।

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