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Homeअपना जौनपुरनगर की सड़के बनी आवारा पशुओं का बसेरा

नगर की सड़के बनी आवारा पशुओं का बसेरा

  • शोपीस बनी कैटल-कैचर वाहर, कूड़ा फेकने वालों की आफत
  • नगर पालिका गंभीर नहीं, फाइलों में है गोआश्रय स्थल

जौनपुर धारा, जौनपुर। नगर में इन दिनों अगर नागरिक किसी से परेशान हैं तो वो छुट्टा पशु हैं। आवारा घूमते पशु लोगों की मुसीबत का पयार्य बन चुके हैं। कई लोग साड़ व गाय के हमले से घायल होकर अस्पताल में पड़े हुए हैं लेकिन नगर पालिका परिषद इस मुद्दे पर गंभीर नहीं दिखायी दे रही है। सब्जी मण्डी में ये पशु आराम से विचरण करते हमेशा देखे जाते हैं। सब्जी मंडी से लेकर आम गलियों तक इनकी चहल-पहल देखी जा सकती है। छुट्टा पशुओं से लोगों को सबसे ज्यादा खतरा सुबह के समय रहते है जब लोग मार्निंग वॉक करने या घरों से कूड़ा लेकर बाहर फेंकने जाते हैं तब यह यह पशु प्राय: गलियों के आसपास मंडराते रहते हैं और उसी समय स्कूल, कॉलेज तथा ट्यूशन पढ़ने के लिए बच्चे आते जाते रहते हैं। थोड़ी सी चूक अगर हो जाय तो ये पशु लोगों की कमर तोड़ने से बाज नहीं आते। ज्यादातर ये पशु झुण्ड बनाकर रहते हैं जिसके कारण रास्ता भी जाम हो जाता है। जब यह आपस में लड़ते हैं तब राहगीरों के साथ-साथ दुकानदारों का भी काफी नुकसान हो जाता है। जानवरों की जोर आजमाइश के चक्कर में सड़कों के किनारे खड़ी बाइक एवं साईकिल क्षतिग्रस्त हो जाती है। जिन लोगों को सुबह-सुबह अपने गंतव्य स्थान पर पहुंचना होता है तो वह वहां न पहुंच कर सीधे हॉस्पिटल पहुंच जाते है। इस संबंध में जब अधिशासी अधिकारी से जानकारी ली गयी तो उन्होंने कहा कि समय-समय पर नगर पालिका परिषद छुट्टा एवं आवारा पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाता रहता है और उन्हें पकड़ कर गोआश्रय स्थल भेज दिया जाता है। शहरी क्षेत्रों की सड़कें आवारा पशुओं का आशियाना बन गई है। नगर के जिस छोर पर देखा जाय छुट्टा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है। शहर के भण्ड़ारी स्टेशन से लेकर ओलन्दगंज तक में सैकड़ों की संख्या में छुट्टा पशु सड़क पर दिन रात विचरण करते है। इन छुट्टा पशुओं के कारण हमेशा दुर्घटनाएं होती रहती है। नगर क्षेत्र में कैटल कैचर के समीप ही छुट्टा पशु टहलते रहते है लेकिन मजाल है कि पशुओं की धड़पकड़ की जाये। प्रदेश सरकार द्वारा छुट्टा पशुओं को पकड़ने से लेकर सुरक्षित रखने तक में लाखों रुपये खर्च करती है, लेकिन हकीकत यह है शहर से लेकर गाँव तक यह योजना अपनी बदहाली पर रो रही है। नगर पालिका हर साल लाखों रुपये छुट्टा पशुओं को पकड़ने में खर्च कर रही है, लेकिन दर्जनों की संख्या में सांड़ यमदूत बनकर बीच चौराहे खड़े दिखते है। शहर स्थित सदभावना पुल से चहारसू चौराहा तक महज सौ मीटर की दूरी में 50 से अधिक खतरनाक पशुओं का जमावड़ा रहता है। वहीं मंडी, स्टेशन मार्ग सिपाह सहित कालोनियों आदि इलाकों में इनके आंतक से लोग रास्ता बदलने को मजबूर होते है। सच्चाई यह है कि जितने पशु गौशाला में रखे जाने दावा किया जाता है उससे कई गुना अधिक सड़कों पर टहल रहें है। वजह यह है शायद इनको ठीक ढंग से रखने के लिए जिला प्रशासन के पास कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में यह सड़कों पर झुंड में बैठकर आवागमन में बाधक भी बन रहे है तो लोगों को मारकर घायल भी कर रहे है, न तो इनके खाने का इंतजाम हो रहा है न ही रखने का। बीच सड़कों पर ये अधिक संख्या में खड़े रहतें है और आये दिन किसी न किसी पर हमला भी कर देतें है। कई बार पशु के कारण सड़क जाम हो जाता है। वहीं पशु इसमें पशुपालकों की भी अहम भूमिका होता है। दूध नहीं देने वाले पशुओं को सड़क पर आवारा छोड़ दिया जाता है। आवारा पशु सड़क पर विचरण करते है और लोगों को अपना शिकार बनाते रहतें है। वहीं चर्चा का विषय यह भी है कि आला अधिकारियों का वाहन प्रतिदिन इन सड़कों से होकर गुजरता है, परन्तु इस समस्या पर किसी का ध्यान नहीं जाता।

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